बादल की आत्मकथा
एक स्वप्निल यात्रा का वर्णन
मैं बादल हूँ—असीम आकाश का एक स्वतंत्र यात्री, धरती के ऊपर मंडराता हुआ एक सफेद, काले, कभी-कभी सुनहरे रंगों में सजा हुआ प्रकृति का अद्भुत करिश्मा। मेरी कहानी बहुत ही रोचक और विस्मयकारी है, क्योंकि मैं न तो जन्म लेता हूँ और न ही मरता हूँ। मैं केवल रूप बदलता हूँ, एक अंतहीन चक्र में घूमता रहता हूँ। यह मेरी आत्मकथा है—एक बादल के जीवन की गाथा।मेरा जन्म और निर्माण
मेरा जन्म सूर्य की गर्मी और पृथ्वी के जल से होता है। जब सूर्य की तीव्र किरणें समुद्र, नदियों, झीलों और तालाबों के जल को गर्म करती हैं, तो वह जल वाष्प बनकर हवा में उड़ने लगता है। यह वाष्प अत्यंत हल्की होती है, इसलिए यह ऊपर उठती जाती है। जैसे-जैसे यह वाष्प ऊँचाई पर पहुँचती है, वहाँ का तापमान कम होने लगता है और वह वाष्प छोटी-छोटी बूँदों में बदल जाती है। इन्हीं बूँदों के समूह से मेरा निर्माण होता है।मैं कभी सफेद और हल्का होता हूँ, तो कभी घने काले रंग का। मेरा रूप मेरे अंदर की जलवाष्प की मात्रा और हवा के दबाव पर निर्भर करता है। कभी मैं पतला और फैला हुआ होता हूँ, तो कभी मोटा और गहरा। मेरे अलग-अलग प्रकार हैं—सिरस, कपासी, स्तरी, वर्षा के बादल, और तूफानी मेघ। हर प्रकार का अपना सौंदर्य और महत्व है।
मेरी यात्रा: आकाश में विचरण
मैं हमेशा गतिशील रहता हूँ। हवाएँ मुझे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती हैं। कभी मैं पहाड़ों के ऊपर मंडराता हूँ, तो कभी मैदानों में छा जाता हूँ। मेरी यात्रा में मैं अनेक दृश्य देखता हूँ—हरे-भरे जंगल, नदियों की लहरें, रेगिस्तान की गर्मी, और बर्फ से ढके पहाड़। मैं प्रकृति के हर रूप का साक्षी हूँ।
कभी-कभी मैं इतना नीचे आ जाता हूँ कि धरती पर कोहरे का रूप ले लेता हूँ। उस समय मेरी हल्की सी चादर पूरे वातावरण को रहस्यमय बना देती है। लोग मुझे देखकर मुग्ध हो जाते हैं, कवि मेरी सुंदरता पर कविताएँ लिखते हैं, और चित्रकार मेरे रंगों को कैनवास पर उतारने की कोशिश करते हैं।
मेरा संघर्ष: वर्षा बनने की प्रक्रिया
लेकिन मेरा जीवन केवल सुंदरता और विचरण तक सीमित नहीं है। मेरा सबसे बड़ा संघर्ष तब शुरू होता है जब मुझे वर्षा बनकर धरती पर गिरना पड़ता है। जब मेरे अंदर की जलवाष्प की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है और हवा का दबाव मुझे संभाल नहीं पाता, तो मैं भारी हो जाता हूँ। मेरी छोटी-छोटी बूँदें आपस में टकराकर बड़ी हो जाती हैं और अंततः वे बारिश की बूँदों के रूप में धरती पर गिरती हैं।
यह प्रक्रिया मेरे लिए एक तरह से त्याग का प्रतीक है। मैं अपना अस्तित्व खोकर धरती को जीवन देता हूँ। मेरी बूँदें खेतों में गिरकर फसलों को हरा-भरा बनाती हैं, नदियों को भर देती हैं, और प्यासी धरती की तृष्णा शांत करती हैं। लेकिन कभी-कभी मैं इतना अधिक गिर जाता हूँ कि बाढ़ का कारण बन जाता हूँ। उस समय मेरा रूप भयावह हो जाता है, लेकिन मेरा उद्देश्य केवल जीवन देना होता है।
मेरा दूसरा रूप: बर्फ और ओले
कभी-कभी जब तापमान बहुत कम होता है, तो मैं बर्फ के रूप में परिवर्तित हो जाता हूँ। पहाड़ों की ऊँचाइयों पर मेरी बूँदें जमकर हिमकणों में बदल जाती हैं और वहाँ बर्फबारी होती है। यह बर्फ पिघलकर नदियों का स्रोत बनती है, जो साल भर पानी प्रदान करती हैं।
लेकिन कभी-कभी मेरी बूँदें ओलों के रूप में गिरती हैं, जो फसलों को नुकसान पहुँचा सकती हैं। यह मेरी प्रकृति का एक कठोर पहलू है, लेकिन प्रकृति के नियमों के अनुसार मुझे यह करना पड़ता है।
मेरा महत्व: जीवनदायिनी शक्ति
मैं केवल पानी का भंडार नहीं हूँ, बल्कि पृथ्वी पर जीवन का आधार हूँ। बिना मेरे धरती सूखी और बंजर हो जाएगी। मेरी वर्षा से ही पेड़-पौधे हरे-भरे रहते हैं, किसानों की फसलें उगती हैं, और जीव-जंतुओं को पीने के लिए पानी मिलता है। मैं मौसम के चक्र को संतुलित रखता हूँ। गर्मियों में लोग मेरी प्रतीक्षा करते हैं, और जब मैं बरसता हूँ, तो सभी खुश हो जाते हैं।
लेकिन आज मानव ने मेरे स्वाभाविक चक्र को बिगाड़ दिया है। प्रदूषण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण मेरा जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कभी मैं समय से पहले ही बरस जाता हूँ, तो कभी देर से। कहीं अतिवृष्टि होती है, तो कहीं सूखा पड़ जाता है। मनुष्य को समझना होगा कि मेरा संतुलन बनाए रखना उसके अपने अस्तित्व के लिए जरूरी है।
मेरा अंतिम संदेश
मैं बादल हूँ—अनंत आकाश का एक खोजी, धरती का प्यास बुझाने वाला, और प्रकृति का एक अभिन्न अंग। मेरी यात्रा कभी समाप्त नहीं होती। आज मैं वर्षा बनकर गिरूँगा, कल फिर सूर्य की गर्मी से वाष्प बनकर आकाश में उड़ जाऊँगा। यह चक्र अनवरत चलता रहेगा।
मैं चाहता हूँ कि मनुष्य मेरी महत्ता को समझे और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहे। मैं सदैव उसके लिए जीवनदायिनी शक्ति बनकर बरसता रहूँगा, बस उसे भी मेरी रक्षा करनी होगी।
इसी के साथ मैं, एक बादल, अपनी आत्मकथा का समापन करता हूँ।
~ बादल