Set 1
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय
डॉ. अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, जिन्हें पूरे भारत में "मिसाइल मैन" और "जनता के राष्ट्रपति" के रूप में जाना जाता है, भारतीय विज्ञान, शिक्षा और नेतृत्व का प्रतीक हैं। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक थे और मां आशियम्मा एक गृहिणी थीं। परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा के महत्व का गहरा ज्ञान दिया।अब्दुल कलाम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामनाथपुरम के श्वार्ट्ज हाई स्कूल से पूरी की। प्रारंभिक जीवन में आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने अखबार बेचने का काम भी किया। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण ऐसा था कि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अध्ययन जारी रखा। उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में स्नातक किया और बाद में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की।
वैज्ञानिक जीवन और उपलब्धियां
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, कलाम ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में वैज्ञानिक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में योगदान दिया, जहां उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-III) को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह परियोजना 1980 में सफलतापूर्वक पूर्ण हुई और भारत ने "रोहिणी" उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित किया।
डॉ. कलाम को "मिसाइल मैन" के रूप में प्रसिद्धि मिली क्योंकि उन्होंने भारत के बैलिस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया। पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइलों के विकास में उनकी प्रमुख भूमिका रही। 1998 में, पोखरण-II परमाणु परीक्षण में भी उनका नेतृत्व उल्लेखनीय था, जिसने भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न देश बना दिया।
राष्ट्रपति पद और प्रेरणादायक व्यक्तित्व
2002 में, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। उनका कार्यकाल 2002 से 2007 तक चला। वह "जनता के राष्ट्रपति" के रूप में जाने गए क्योंकि उन्होंने हमेशा युवाओं, शिक्षा और समाज के हर वर्ग से संवाद किया। राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने वैज्ञानिक सोच, शिक्षा और राष्ट्र निर्माण के महत्व पर जोर दिया।
राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद, उन्होंने अपना समय शिक्षण, लेखन और युवाओं को प्रेरित करने में बिताया। उन्होंने भारत को 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना देखा और अपनी पुस्तक "इंडिया 2020" में इसका विवरण प्रस्तुत किया।
पुरस्कार और सम्मान
डॉ. कलाम को उनके असाधारण योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" (1997) शामिल है। इसके अलावा, उन्हें पद्म भूषण (1981) और पद्म विभूषण (1990) से भी सम्मानित किया गया।
निधन और विरासत
27 जुलाई 2015 को मेघालय के शिलांग में आईआईएम के एक कार्यक्रम में व्याख्यान देते समय डॉ. कलाम का निधन हो गया। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को शोकग्रस्त कर दिया, लेकिन उनके विचार और योगदान सदैव प्रेरणा देते रहेंगे।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम न केवल एक महान वैज्ञानिक और नेता थे, बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी थे। उनका जीवन यह संदेश देता है कि कड़ी मेहनत, ईमानदारी और आत्मविश्वास से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है।
Set 2
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: एक प्रेरणादायक जीवन
डॉ. अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, जिन्हें लोग प्यार से "मिसाइल मैन" और "जनता के राष्ट्रपति" कहते हैं, भारत के महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद और नेता थे। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता जैनुलाब्दीन नाव चलाने का काम करते थे, और मां आशियम्मा एक सरल और धार्मिक महिला थीं। परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था, लेकिन आदर्शों और मूल्यों से परिपूर्ण था।अब्दुल कलाम बचपन से ही एक मेहनती और जिज्ञासु बालक थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक स्कूल से की। अपने परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियां निभाने के लिए अखबार बेचने का काम भी किया। उनका दृढ़ निश्चय और शिक्षा के प्रति उनका समर्पण उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहा।
शिक्षा और करियर की शुरुआत
कलाम ने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता हासिल की। यहां उन्होंने अपनी अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया और वैज्ञानिक बनने का सपना पूरा करने की ओर कदम बढ़ाया। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक वैज्ञानिक के रूप में कार्य करना शुरू किया।
वैज्ञानिक उपलब्धियां
1969 में, डॉ. कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में शामिल हुए। वहां उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-III) को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह परियोजना 1980 में सफल रही, और भारत ने अपने "रोहिणी" उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित किया। इस सफलता ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
डॉ. कलाम की ख्याति मुख्य रूप से उनके मिसाइल कार्यक्रम के कारण हुई। उन्होंने भारत की बैलिस्टिक मिसाइल "पृथ्वी" और "अग्नि" के विकास में नेतृत्व प्रदान किया। इसके साथ ही, 1998 के पोखरण-II परमाणु परीक्षण में उनकी भूमिका ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया। उनकी इस सफलता ने उन्हें "मिसाइल मैन ऑफ इंडिया" की उपाधि दिलाई।
राष्ट्रपति और प्रेरणा स्रोत
2002 में, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। उनका राष्ट्रपति काल 2002 से 2007 तक चला। वे भारतीय जनता के बीच इतने लोकप्रिय थे कि उन्हें "जनता के राष्ट्रपति" कहा गया। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने शिक्षा, विज्ञान और युवाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया। वह हमेशा छात्रों और युवाओं से संवाद करते और उन्हें बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करते।
राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद, उन्होंने शिक्षण और लेखन को अपना मुख्य उद्देश्य बनाया। उनकी पुस्तकों में "इंडिया 2020," "विंग्स ऑफ फायर," और "इग्नाइटेड माइंड्स" युवाओं और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी सोच को दर्शाती हैं।
पुरस्कार और सम्मान
डॉ. कलाम को उनके असाधारण योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" (1997) से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें "पद्म भूषण" (1981) और "पद्म विभूषण" (1990) जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त हुए।
मृत्यु और विरासत
27 जुलाई 2015 को मेघालय के शिलांग में एक व्याख्यान देते समय डॉ. कलाम का अचानक निधन हो गया। उनकी मृत्यु से पूरे देश ने एक महान नेता और प्रेरणा स्रोत को खो दिया।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन एक ऐसा प्रकाशस्तंभ है, जो हमें कड़ी मेहनत, समर्पण और सादगी से अपने सपनों को साकार करने की प्रेरणा देता है। उनका सपना भारत को एक विकसित राष्ट्र बनते हुए देखना था, और उनकी इस सोच ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया है। उनका जीवन और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणादायक रहेगा।