1. गोलू और उसकी जादुई चॉकलेट
गोलू एक प्यारा और नटखट बच्चा था। उसे चॉकलेट का बहुत शौक था। वह हमेशा अपने दोस्तों से चॉकलेट मांगता और जब कोई नहीं देता, तो वह उदास हो जाता। एक दिन गोलू ने एक पुराने पेड़ के नीचे एक जादुई चॉकलेट पड़ी देखी। उसकी चमक और खुशबू ने उसे आकर्षित किया। बिना सोचे-समझे, गोलू ने वह चॉकलेट उठा ली और तुरंत खाने लगा।
जैसे ही उसने पहला टुकड़ा खाया, उसे कुछ अजीब लगा। उसके आसपास की चीजें धीरे-धीरे चॉकलेट में बदलने लगीं। पहले उसका बस्ता, फिर उसकी किताबें, और फिर उसके जूते! गोलू को यह देखकर बहुत मज़ा आया, और उसने पूरी चॉकलेट खा ली। अब उसके घर की दीवारें, खिड़कियाँ, और यहाँ तक कि उसके माता-पिता भी चॉकलेट में बदल गए!
गोलू को अचानक एहसास हुआ कि उसने बड़ी गलती कर दी है। अब वह किसी से बात नहीं कर सकता था, क्योंकि सबकुछ चॉकलेट में बदल चुका था। वह बहुत डर गया और रोने लगा। तभी उसे पेड़ से एक आवाज़ सुनाई दी। "गोलू, तुमने अपनी लालच की वजह से यह सब किया है। लेकिन मैं तुम्हें एक मौका और देता हूँ। अगर तुम वादा करो कि आगे से लालची नहीं बनोगे, तो मैं सब कुछ पहले जैसा कर दूंगा।"
गोलू ने जल्दी से वादा किया कि वह अब कभी लालची नहीं बनेगा। अचानक सबकुछ पहले जैसा हो गया। गोलू के माता-पिता और घर भी ठीक हो गए। अब गोलू ने यह सीख ली कि ज़्यादा लालच करना बहुत हानिकारक हो सकता है। उसने उस दिन से अपनी लालच को त्याग दिया और हमेशा संतुलन बनाकर ही खाने लगा।
2. मिठू की चतुराई
एक गाँव में मिठू नाम का एक चतुर तोता रहता था। मिठू को बात करना बहुत पसंद था, और वह अक्सर अपने दोस्तों को चिढ़ाने में मस्त रहता था। एक दिन, गाँव में एक शिकारी आया। उसने जाल बिछाया और मिठू के दोस्तों को पकड़ने की योजना बनाई। मिठू ने शिकारी को जाल बिछाते हुए देखा, लेकिन वह अपने खेल में मस्त था, इसलिए उसने कोई ध्यान नहीं दिया।
अगली सुबह, मिठू ने देखा कि उसके सारे दोस्त शिकारी के जाल में फँस गए हैं। सभी पक्षी मदद के लिए चीख रहे थे, लेकिन कोई भी उन्हें बचाने के लिए नहीं आ रहा था। मिठू बहुत परेशान हुआ और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने पहले शिकारी की योजना को अनदेखा किया था।
मिठू ने तुरंत कुछ करने का फैसला किया। उसने शिकारी का ध्यान भटकाने के लिए जोर-जोर से चीखना और उड़ना शुरू कर दिया। शिकारी ने सोचा कि कोई बड़ा पक्षी उसके जाल के पास आ गया है, इसलिए वह जाल की तरफ दौड़ा। जब शिकारी जाल के पास पहुंचा, तो मिठू ने अपनी चतुराई से जाल की रस्सी काट दी और उसके दोस्त उड़कर आजाद हो गए।
शिकारी यह सब देखकर हक्का-बक्का रह गया, और मिठू के दोस्त उसकी तारीफ करने लगे। मिठू ने उन्हें बताया कि वह अब हमेशा सतर्क रहेगा और अपने दोस्तों की मदद के लिए तैयार रहेगा। उस दिन से मिठू ने दूसरों को चिढ़ाना छोड़ दिया और एक सच्चा दोस्त बनने का फैसला किया।
3. गप्पू की नींद
गप्पू नाम का एक लड़का था जो बहुत आलसी था। उसे सोना बहुत पसंद था और वह दिनभर बिस्तर पर पड़ा रहता था। उसकी माँ उसे बार-बार उठाने की कोशिश करतीं, लेकिन गप्पू हमेशा कहता, "थोड़ा और सोने दो, माँ!"
एक दिन गप्पू ने सपना देखा कि वह एक बड़ी दौड़ में भाग ले रहा है। सभी बच्चे तेजी से दौड़ रहे थे, लेकिन गप्पू ने देखा कि वह उनसे बहुत पीछे रह गया है। उसने अपनी पूरी ताकत से दौड़ने की कोशिश की, लेकिन उसके पैर भारी हो गए थे और वह बार-बार गिर रहा था। वह बहुत परेशान हो गया और दौड़ खत्म होते ही वह जाग गया।
जब वह जागा, तो उसने अपनी माँ को देखा और कहा, "माँ, मैं अब आलस नहीं करूंगा। मुझे मेहनत करनी होगी।" उसकी माँ मुस्कुराई और कहा, "बिल्कुल, बेटा। मेहनत ही सफलता की कुंजी है।"
उस दिन से गप्पू ने अपने आलस को छोड़ दिया और रोज़ सुबह जल्दी उठने लगा। उसने पढ़ाई में भी मेहनत की और खेलों में भी भाग लेना शुरू कर दिया। कुछ महीनों बाद, स्कूल में एक दौड़ प्रतियोगिता हुई। गप्पू ने उसमें हिस्सा लिया और सभी बच्चों को पीछे छोड़ते हुए वह सबसे पहले पहुंच गया। उसे गोल्ड मेडल मिला और सभी ने उसकी तारीफ की।
गप्पू ने अपने अनुभव से सीखा कि मेहनत और अनुशासन से ही सफलता मिलती है। उसने अब हमेशा मेहनत करने का संकल्प लिया और अपने सपनों को साकार करने में जुट गया।
4. चिंकी और उसकी चतुराई
चिंकी एक छोटी सी प्यारी लड़की थी। वह बहुत नटखट थी और हमेशा अपनी माँ की बातों को नजरअंदाज करती थी। उसकी माँ ने उसे कई बार बताया था कि जंगल में अकेले मत जाना और अगर कभी खो जाओ तो एक जगह पर रुक जाना ताकि उन्हें ढूंढा जा सके। लेकिन चिंकी ने कभी इस बात को गंभीरता से नहीं लिया।
एक दिन चिंकी अपनी दोस्तों के साथ खेलने के लिए जंगल गई। खेल-खेल में वह अपने दोस्तों से अलग हो गई और गहरे जंगल में चली गई। जब उसने चारों ओर देखा तो उसे महसूस हुआ कि वह खो गई है। उसे बहुत डर लगने लगा। उसने इधर-उधर दौड़ना शुरू कर दिया, लेकिन इससे वह और भी भटक गई।
तभी उसे अपनी माँ की सलाह याद आई। उसने सोचा, "अगर मैं और दौड़ूंगी, तो मैं और भी ज्यादा खो जाऊंगी।" इसलिए उसने एक बड़े पेड़ के नीचे बैठने का फैसला किया और वहाँ शांत बैठी रही। थोड़ी देर बाद उसे अपनी माँ की आवाज़ सुनाई दी। उसकी माँ उसे ढूंढते हुए वहाँ पहुंच गईं और चिंकी को गले से लगा लिया।
चिंकी ने माँ से माफी मांगी और कहा, "माँ, आज मुझे आपकी सलाह की महत्वता समझ में आ गई। अब मैं हमेशा आपकी बातों को मानूँगी।" उसकी माँ ने उसे प्यार से गले लगाते हुए कहा, "मेरी प्यारी बेटी, हमेशा ध्यान रखना कि माता-पिता की सलाह तुम्हारी सुरक्षा के लिए होती है।"
उस दिन के बाद से चिंकी ने अपनी माँ की हर बात को ध्यान से सुनना शुरू कर दिया और कभी भी लापरवाही नहीं की। उसने सीखा कि माता-पिता की सलाह का पालन करना बहुत जरूरी है, क्योंकि वे हमेशा हमारे भले के लिए ही होते हैं।
5. लालची कौआ
एक बार की बात है, एक बड़े पेड़ पर कौआ और कबूतर का परिवार साथ-साथ रहता था। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। कौआ बहुत होशियार और लालची था, जबकि कबूतर बहुत ही सरल और सच्चा था। कौआ हमेशा खाने की चीजें इकट्ठी करता और उन्हें छुपा कर रखता, ताकि किसी को पता न चले। दूसरी ओर, कबूतर हमेशा जरूरतमंदों की मदद करता और अपना भोजन बांटता।
एक दिन, कौआ ने एक बड़ा रोटी का टुकड़ा पाया। वह बहुत खुश हुआ और उसने सोचा कि इसे वह अकेले ही खाएगा और किसी को पता नहीं चलेगा। वह टुकड़ा लेकर पेड़ के सबसे ऊपरी शाखा पर जा बैठा। तभी उसने देखा कि एक और कौआ नीचे बैठा हुआ है और उसकी रोटी को देख रहा है। कौआ ने सोचा, "अगर यह कौआ मुझे देखेगा, तो यह मुझसे रोटी मांग लेगा।"
कौआ ने अपनी रोटी को और ऊँचाई पर ले जाने का सोचा, ताकि दूसरा कौआ उसे न देख सके। लेकिन जैसे ही वह रोटी को चोंच में लेकर उड़ने लगा, उसकी चोंच से रोटी का टुकड़ा गिर गया और नीचे के तालाब में डूब गया। कौआ की आँखों में आंसू आ गए और वह नीचे उड़कर देखने गया, लेकिन रोटी गायब हो चुकी थी।
कबूतर ने यह सब देखा और कौआ के पास आकर कहा, "दोस्त, तुमने अपनी लालच के कारण अपना खाना खो दिया। अगर तुम इस रोटी को बांटते, तो तुम्हें भी खुशी मिलती और तुम्हारा खाना भी बचा रहता।"
कौआ को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने कबूतर से माफी मांगी। उसने वादा किया कि अब वह लालच नहीं करेगा और जरूरतमंदों की मदद करेगा। उस दिन से कौआ और कबूतर ने मिलकर सबकुछ बांटना शुरू कर दिया और उनकी दोस्ती और भी गहरी हो गई।
6. बबलू और उसकी किताबें
बबलू एक खुशमिजाज और नटखट लड़का था। उसे खेलना बहुत पसंद था, लेकिन पढ़ाई से वह हमेशा भागता था। उसकी किताबें बिस्तर के नीचे पड़ी रहतीं और वह दिनभर दोस्तों के साथ खेलने में मस्त रहता। उसकी माँ और टीचर ने कई बार उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन बबलू को पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
एक दिन, बबलू की परीक्षा का दिन आ गया। उसने बिना पढ़े ही परीक्षा देने का फैसला किया। जब वह परीक्षा कक्ष में बैठा, तो उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सवालों का जवाब कैसे देना है। वह पसीना-पसीना हो गया और उसकी आँखों में आंसू आ गए। उसने जल्दी से पेपर लिखने की कोशिश की, लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आया। वह बहुत उदास हो गया और मन ही मन सोचने लगा, "काश मैंने अपनी किताबों से पढ़ाई की होती।"
उस रात, बबलू ने सपना देखा। उसने देखा कि उसकी किताबें उससे नाराज़ होकर घर से चली गईं। बबलू ने उन्हें ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वे कहीं नहीं मिलीं। उसने अपनी किताबों को पुकारा और कहा, "मुझे माफ कर दो! मैं अब हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हारी मदद से पढ़ाई करूंगा।" तभी किताबें उसके सामने आ गईं और कहा, "अगर तुम सच में पढ़ाई करने का वादा करते हो, तो हम वापस आ जाएंगी।"
बबलू ने जागते ही ठान लिया कि अब वह अपनी किताबों की अनदेखी नहीं करेगा। उसने रोज़ समय पर पढ़ाई शुरू की और धीरे-धीरे उसे पढ़ाई में मज़ा आने लगा। वह नए-नए विषय सीखने लगा और उसे समझ में आया कि किताबें उसकी सबसे अच्छी दोस्त हैं, जो उसे ज्ञान और समझ देती हैं।
अगली परीक्षा में बबलू ने बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए और सबने उसकी तारीफ की। उसकी माँ और टीचर बहुत खुश हुए। बबलू ने सीखा कि खेलना जरूरी है, लेकिन पढ़ाई का महत्व भी समझना चाहिए। उसने अब हर दिन समय पर पढ़ाई और खेल दोनों को संतुलित करना सीख लिया।
7. फुर्तीली गिलहरी
गिलहरी का नाम था चंचल। वह अपने नाम के मुताबिक बहुत फुर्तीली थी। हर रोज़ वह मेहनत करके अपने लिए खाना इकट्ठा करती थी। चाहे कितनी भी धूप हो या बारिश, चंचल कभी काम से पीछे नहीं हटती थी। उसकी मेहनत को देखकर अन्य जानवर उसे चिढ़ाते थे और कहते थे, "तुम्हें आराम करना नहीं आता, हमेशा काम में लगी रहती हो।"
चंचल मुस्कुरा कर कहती, "मेहनत से ही तो मुझे सर्दी में आराम मिलेगा।" लेकिन बाकी जानवर उसकी बातों को अनसुना कर देते थे।
एक दिन सर्दी की ठंडी हवाएं चलने लगीं और बर्फ गिरने लगी। सारे जानवर परेशान हो गए क्योंकि उन्होंने सर्दी के लिए कोई खाना इकट्ठा नहीं किया था। उन्होंने इधर-उधर भागना शुरू कर दिया, लेकिन बर्फ के कारण उन्हें कुछ भी नहीं मिला। चंचल ने अपने घर में आराम से बैठकर अपनी मेहनत का फल खाना शुरू किया।
तभी कुछ जानवर उसकी मदद मांगने उसके घर आए। चंचल ने बिना किसी संकोच के अपना खाना उनके साथ बांटा और उन्हें सर्दी से बचाया। जानवरों ने चंचल से कहा, "हमने तुम्हें हमेशा चिढ़ाया, लेकिन आज तुम्हारी मेहनत ने हमें बचा लिया।"
चंचल ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। जब हम अपने भविष्य की सोचकर मेहनत करते हैं, तो मुश्किल वक्त में वह मेहनत ही हमारी सबसे बड़ी ताकत बनती है।"
उस दिन से सभी जानवरों ने यह सीख ली कि मेहनत और दूरदर्शिता के बिना जीवन में सफलता पाना मुश्किल है। अब सभी जानवर भी चंचल की तरह मेहनत करने लगे और अपने भविष्य के लिए तैयारी करने लगे।
8. भोलू और उसका पालतू
भोलू एक जिज्ञासु बच्चा था, जिसे जानवरों से बहुत लगाव था। एक दिन उसने अपने पिता से एक पालतू खरगोश लाने की जिद की। उसके पिता ने उसे समझाया कि पालतू जानवर की देखभाल करना आसान नहीं होता, लेकिन भोलू ने वादा किया कि वह उसका अच्छे से ख्याल रखेगा। भोलू के पिता ने उसे एक छोटा और प्यारा खरगोश ला दिया। भोलू बहुत खुश हुआ और उसने उसका नाम "फ्लफी" रखा।
शुरू-शुरू में भोलू फ्लफी की बहुत देखभाल करता। उसे समय पर खाना देता, उसके साथ खेलता और उसकी सफाई भी करता। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, भोलू का ध्यान फ्लफी से हटने लगा। वह अब ज्यादातर समय अपने दोस्तों के साथ खेलने में बिताता और फ्लफी को भूला देता। फ्लफी धीरे-धीरे कमजोर होने लगा और बीमार पड़ गया।
एक दिन भोलू ने देखा कि फ्लफी में पहले जैसी चपलता नहीं रही और वह उदास रहने लगा है। भोलू को एहसास हुआ कि वह फ्लफी की देखभाल में लापरवाही कर रहा है। उसे अपने पिता की बातें याद आईं और उसने फौरन फ्लफी को डॉक्टर के पास ले जाने का फैसला किया। डॉक्टर ने कहा कि अगर भोलू समय पर ध्यान नहीं देता, तो फ्लफी की तबियत और बिगड़ सकती थी।
भोलू ने फ्लफी की अच्छी देखभाल की और जल्द ही फ्लफी फिर से स्वस्थ हो गया। भोलू ने अपने पिता से माफी मांगी और कहा, "पिताजी, मैं अब समझ गया हूँ कि पालतू जानवरों की देखभाल करना कितना महत्वपूर्ण होता है। मैं अब कभी लापरवाही नहीं करूंगा।"
भोलू के पिता ने उसे गले लगाते हुए कहा, "बेटा, पालतू जानवर हमारे परिवार का हिस्सा होते हैं। उन्हें प्यार और देखभाल की जरूरत होती है। मुझे खुशी है कि तुमने अपनी गलती से सीखा।"
अब भोलू फ्लफी का अच्छे से ख्याल रखता और उसके साथ ढेर सारा समय बिताता। फ्लफी भी भोलू से बहुत प्यार करने लगा और दोनों के बीच एक गहरा संबंध बन गया।
9. रानी का झूठ
रानी नाम की एक शरारती लड़की थी, जिसे झूठ बोलने की आदत थी। वह हमेशा अपनी बातों को बढ़ा-चढ़ा कर बताती और लोगों को बेवकूफ बनाती। उसके माता-पिता ने उसे कई बार समझाया, लेकिन रानी ने कभी उनकी बात नहीं मानी।
एक दिन रानी ने सोचा कि क्यों न सबको एक बड़ा मजाक किया जाए। उसने गाँव के चौराहे पर खड़े होकर चिल्लाना शुरू कर दिया, "आग लग गई! आग लग गई! जल्दी मदद करो!" उसकी चीख सुनकर गाँव के लोग अपने काम छोड़कर भागते हुए वहां पहुंचे। लेकिन जब वे पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वहां कोई आग नहीं लगी है। रानी जोर-जोर से हँसने लगी और कहा, "मैंने तो मजाक किया था।"
गाँव के लोग बहुत नाराज हुए और रानी को डाँटने लगे। लेकिन रानी ने उनकी बातों को हल्के में लिया और घर चली गई। कुछ दिन बाद सच में गाँव में आग लग गई। रानी ने फिर से चिल्लाकर लोगों को बुलाने की कोशिश की, लेकिन इस बार कोई भी उसकी बात पर विश्वास नहीं कर रहा था। सबने सोचा कि वह फिर से मजाक कर रही है।
रानी बहुत घबरा गई और भागकर अपने माता-पिता के पास गई। उसने उन्हें सारी बात बताई। उसके माता-पिता तुरंत गाँव वालों के पास गए और उन्हें आग के बारे में बताया। जब गाँव के लोग पहुंचे, तब तक आग काफी फैल चुकी थी। बड़ी मुश्किल से आग पर काबू पाया जा सका।
रानी ने उस दिन सीखा कि झूठ बोलने से विश्वास खो जाता है और जब सच में जरूरत होती है, तो लोग हमारी बात पर यकीन नहीं करते। उसने अपने माता-पिता से माफी मांगी और वादा किया कि वह अब कभी झूठ नहीं बोलेगी। उसके माता-पिता ने कहा, "रानी, सच्चाई का रास्ता ही सबसे अच्छा होता है। अगर तुम हमेशा सच बोलोगी, तो लोग तुम पर भरोसा करेंगे।"
उस दिन के बाद से रानी ने झूठ बोलना छोड़ दिया और हमेशा सच बोलने की आदत डाल ली। गाँव के लोग भी अब उस पर भरोसा करने लगे और रानी ने सच्चाई का महत्व समझ लिया।
10. चिकी का साहस
चिकी एक छोटा और डरपोक बच्चा था। वह हमेशा छोटी-छोटी चीज़ों से डर जाता था और किसी भी चुनौती का सामना करने में हिचकिचाता था। उसके माता-पिता और दोस्तों ने उसे बार-बार हिम्मत दी कि डर को पार करने के लिए साहस की जरूरत होती है, लेकिन चिकी को हमेशा लगता था कि वह ऐसा नहीं कर सकता।
एक दिन गाँव में एक बड़ा त्यौहार मनाया जा रहा था। त्यौहार के दिन गाँव में खेल, गीत, और प्रतियोगिताएँ चल रही थीं। सभी लोग खुशी से झूम रहे थे और आपस में बधाई दे रहे थे। लेकिन इस बार, गाँव में अफवाह उड़ी कि त्यौहार के आयोजन स्थल पर एक भयानक शेर आ गया है। यह सुनकर गाँव के लोग डर के मारे त्यौहार में शामिल होने से हिचकिचाने लगे।
चिकी ने सुना कि शेर कितना खतरनाक हो सकता है, और उसकी यह बात सुनकर वह और भी ज्यादा डर गया। लेकिन उसकी माँ ने उसे समझाया, "चिकी, कभी-कभी डर का सामना करना भी ज़रूरी होता है। तुम्हें अपने डर को पार करना होगा।"
चिकी ने सोचा कि अगर सब लोग त्यौहार से दूर रहेंगे, तो वह अकेला ही रह जाएगा। उसने अपने डर को मात देने का फैसला किया और त्यौहार की ओर चल पड़ा। उसने अपने दिल में साहस भरते हुए सोचा, "मैं आज अपने डर का सामना करूंगा।"
जैसे ही चिकी त्यौहार के मैदान में पहुंचा, उसने देखा कि लोग एक तरफ इकट्ठा हो रहे थे और बहुत घबराए हुए थे। उसने ध्यान से देखा और पाया कि लोग डर की वजह से भाग रहे थे, लेकिन शेर कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। तभी चिकी ने सुना कि कुछ लोग कह रहे थे कि शेर दरअसल एक बड़ा कुत्ता है, जो गलती से शेर जैसा दिखाई दे रहा है।
चिकी ने तय किया कि उसे पता लगाना होगा कि सच में क्या हो रहा है। उसने धीरे-धीरे जाकर देखा कि एक बड़ा कुत्ता एक खंभे के पास बंधा था और लोग उसे देखकर डर रहे थे। चिकी ने कुत्ते से संपर्क किया और उसकी बात सुनी। कुत्ता, जो वास्तव में बहुत शांत और दोस्ताना था, ने बताया कि वह एक शो के लिए लाया गया था और उसका शेर जैसा रूप दिखाने का उद्देश्य केवल मनोरंजन था।
चिकी ने कुत्ते की बात सुनी और तुरंत ही सबको जाकर बताया कि शेर दरअसल कुत्ता है और वह बिल्कुल सुरक्षित है। लोग चिकी की बात पर विश्वास करने लगे और धीरे-धीरे मैदान में वापस आने लगे। त्यौहार का आनंद फिर से शुरू हो गया और लोग चिकी की बहादुरी की तारीफ करने लगे।
चिकी ने सीखा कि अपने डर का सामना करने से ही हम बड़ी चुनौतियों को पार कर सकते हैं। उसने अपने साहस और हिम्मत से सभी को दिखाया कि जब हम खुद पर विश्वास करते हैं, तो कोई भी डर हमें रोक नहीं सकता। गाँववालों ने चिकी की सराहना की और उसने खुद को और भी मजबूत महसूस किया।
इस अनुभव के बाद, चिकी ने डर को परास्त करना सीख लिया और अपने जीवन में हर चुनौती का सामना हिम्मत से करने का संकल्प लिया।
गोलू एक प्यारा और नटखट बच्चा था। उसे चॉकलेट का बहुत शौक था। वह हमेशा अपने दोस्तों से चॉकलेट मांगता और जब कोई नहीं देता, तो वह उदास हो जाता। एक दिन गोलू ने एक पुराने पेड़ के नीचे एक जादुई चॉकलेट पड़ी देखी। उसकी चमक और खुशबू ने उसे आकर्षित किया। बिना सोचे-समझे, गोलू ने वह चॉकलेट उठा ली और तुरंत खाने लगा।
जैसे ही उसने पहला टुकड़ा खाया, उसे कुछ अजीब लगा। उसके आसपास की चीजें धीरे-धीरे चॉकलेट में बदलने लगीं। पहले उसका बस्ता, फिर उसकी किताबें, और फिर उसके जूते! गोलू को यह देखकर बहुत मज़ा आया, और उसने पूरी चॉकलेट खा ली। अब उसके घर की दीवारें, खिड़कियाँ, और यहाँ तक कि उसके माता-पिता भी चॉकलेट में बदल गए!
गोलू को अचानक एहसास हुआ कि उसने बड़ी गलती कर दी है। अब वह किसी से बात नहीं कर सकता था, क्योंकि सबकुछ चॉकलेट में बदल चुका था। वह बहुत डर गया और रोने लगा। तभी उसे पेड़ से एक आवाज़ सुनाई दी। "गोलू, तुमने अपनी लालच की वजह से यह सब किया है। लेकिन मैं तुम्हें एक मौका और देता हूँ। अगर तुम वादा करो कि आगे से लालची नहीं बनोगे, तो मैं सब कुछ पहले जैसा कर दूंगा।"
गोलू ने जल्दी से वादा किया कि वह अब कभी लालची नहीं बनेगा। अचानक सबकुछ पहले जैसा हो गया। गोलू के माता-पिता और घर भी ठीक हो गए। अब गोलू ने यह सीख ली कि ज़्यादा लालच करना बहुत हानिकारक हो सकता है। उसने उस दिन से अपनी लालच को त्याग दिया और हमेशा संतुलन बनाकर ही खाने लगा।
2. मिठू की चतुराई
एक गाँव में मिठू नाम का एक चतुर तोता रहता था। मिठू को बात करना बहुत पसंद था, और वह अक्सर अपने दोस्तों को चिढ़ाने में मस्त रहता था। एक दिन, गाँव में एक शिकारी आया। उसने जाल बिछाया और मिठू के दोस्तों को पकड़ने की योजना बनाई। मिठू ने शिकारी को जाल बिछाते हुए देखा, लेकिन वह अपने खेल में मस्त था, इसलिए उसने कोई ध्यान नहीं दिया।
अगली सुबह, मिठू ने देखा कि उसके सारे दोस्त शिकारी के जाल में फँस गए हैं। सभी पक्षी मदद के लिए चीख रहे थे, लेकिन कोई भी उन्हें बचाने के लिए नहीं आ रहा था। मिठू बहुत परेशान हुआ और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने पहले शिकारी की योजना को अनदेखा किया था।
मिठू ने तुरंत कुछ करने का फैसला किया। उसने शिकारी का ध्यान भटकाने के लिए जोर-जोर से चीखना और उड़ना शुरू कर दिया। शिकारी ने सोचा कि कोई बड़ा पक्षी उसके जाल के पास आ गया है, इसलिए वह जाल की तरफ दौड़ा। जब शिकारी जाल के पास पहुंचा, तो मिठू ने अपनी चतुराई से जाल की रस्सी काट दी और उसके दोस्त उड़कर आजाद हो गए।
शिकारी यह सब देखकर हक्का-बक्का रह गया, और मिठू के दोस्त उसकी तारीफ करने लगे। मिठू ने उन्हें बताया कि वह अब हमेशा सतर्क रहेगा और अपने दोस्तों की मदद के लिए तैयार रहेगा। उस दिन से मिठू ने दूसरों को चिढ़ाना छोड़ दिया और एक सच्चा दोस्त बनने का फैसला किया।
3. गप्पू की नींद
गप्पू नाम का एक लड़का था जो बहुत आलसी था। उसे सोना बहुत पसंद था और वह दिनभर बिस्तर पर पड़ा रहता था। उसकी माँ उसे बार-बार उठाने की कोशिश करतीं, लेकिन गप्पू हमेशा कहता, "थोड़ा और सोने दो, माँ!"
एक दिन गप्पू ने सपना देखा कि वह एक बड़ी दौड़ में भाग ले रहा है। सभी बच्चे तेजी से दौड़ रहे थे, लेकिन गप्पू ने देखा कि वह उनसे बहुत पीछे रह गया है। उसने अपनी पूरी ताकत से दौड़ने की कोशिश की, लेकिन उसके पैर भारी हो गए थे और वह बार-बार गिर रहा था। वह बहुत परेशान हो गया और दौड़ खत्म होते ही वह जाग गया।
जब वह जागा, तो उसने अपनी माँ को देखा और कहा, "माँ, मैं अब आलस नहीं करूंगा। मुझे मेहनत करनी होगी।" उसकी माँ मुस्कुराई और कहा, "बिल्कुल, बेटा। मेहनत ही सफलता की कुंजी है।"
उस दिन से गप्पू ने अपने आलस को छोड़ दिया और रोज़ सुबह जल्दी उठने लगा। उसने पढ़ाई में भी मेहनत की और खेलों में भी भाग लेना शुरू कर दिया। कुछ महीनों बाद, स्कूल में एक दौड़ प्रतियोगिता हुई। गप्पू ने उसमें हिस्सा लिया और सभी बच्चों को पीछे छोड़ते हुए वह सबसे पहले पहुंच गया। उसे गोल्ड मेडल मिला और सभी ने उसकी तारीफ की।
गप्पू ने अपने अनुभव से सीखा कि मेहनत और अनुशासन से ही सफलता मिलती है। उसने अब हमेशा मेहनत करने का संकल्प लिया और अपने सपनों को साकार करने में जुट गया।
4. चिंकी और उसकी चतुराई
चिंकी एक छोटी सी प्यारी लड़की थी। वह बहुत नटखट थी और हमेशा अपनी माँ की बातों को नजरअंदाज करती थी। उसकी माँ ने उसे कई बार बताया था कि जंगल में अकेले मत जाना और अगर कभी खो जाओ तो एक जगह पर रुक जाना ताकि उन्हें ढूंढा जा सके। लेकिन चिंकी ने कभी इस बात को गंभीरता से नहीं लिया।
एक दिन चिंकी अपनी दोस्तों के साथ खेलने के लिए जंगल गई। खेल-खेल में वह अपने दोस्तों से अलग हो गई और गहरे जंगल में चली गई। जब उसने चारों ओर देखा तो उसे महसूस हुआ कि वह खो गई है। उसे बहुत डर लगने लगा। उसने इधर-उधर दौड़ना शुरू कर दिया, लेकिन इससे वह और भी भटक गई।
तभी उसे अपनी माँ की सलाह याद आई। उसने सोचा, "अगर मैं और दौड़ूंगी, तो मैं और भी ज्यादा खो जाऊंगी।" इसलिए उसने एक बड़े पेड़ के नीचे बैठने का फैसला किया और वहाँ शांत बैठी रही। थोड़ी देर बाद उसे अपनी माँ की आवाज़ सुनाई दी। उसकी माँ उसे ढूंढते हुए वहाँ पहुंच गईं और चिंकी को गले से लगा लिया।
चिंकी ने माँ से माफी मांगी और कहा, "माँ, आज मुझे आपकी सलाह की महत्वता समझ में आ गई। अब मैं हमेशा आपकी बातों को मानूँगी।" उसकी माँ ने उसे प्यार से गले लगाते हुए कहा, "मेरी प्यारी बेटी, हमेशा ध्यान रखना कि माता-पिता की सलाह तुम्हारी सुरक्षा के लिए होती है।"
उस दिन के बाद से चिंकी ने अपनी माँ की हर बात को ध्यान से सुनना शुरू कर दिया और कभी भी लापरवाही नहीं की। उसने सीखा कि माता-पिता की सलाह का पालन करना बहुत जरूरी है, क्योंकि वे हमेशा हमारे भले के लिए ही होते हैं।
5. लालची कौआ
एक बार की बात है, एक बड़े पेड़ पर कौआ और कबूतर का परिवार साथ-साथ रहता था। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। कौआ बहुत होशियार और लालची था, जबकि कबूतर बहुत ही सरल और सच्चा था। कौआ हमेशा खाने की चीजें इकट्ठी करता और उन्हें छुपा कर रखता, ताकि किसी को पता न चले। दूसरी ओर, कबूतर हमेशा जरूरतमंदों की मदद करता और अपना भोजन बांटता।
एक दिन, कौआ ने एक बड़ा रोटी का टुकड़ा पाया। वह बहुत खुश हुआ और उसने सोचा कि इसे वह अकेले ही खाएगा और किसी को पता नहीं चलेगा। वह टुकड़ा लेकर पेड़ के सबसे ऊपरी शाखा पर जा बैठा। तभी उसने देखा कि एक और कौआ नीचे बैठा हुआ है और उसकी रोटी को देख रहा है। कौआ ने सोचा, "अगर यह कौआ मुझे देखेगा, तो यह मुझसे रोटी मांग लेगा।"
कौआ ने अपनी रोटी को और ऊँचाई पर ले जाने का सोचा, ताकि दूसरा कौआ उसे न देख सके। लेकिन जैसे ही वह रोटी को चोंच में लेकर उड़ने लगा, उसकी चोंच से रोटी का टुकड़ा गिर गया और नीचे के तालाब में डूब गया। कौआ की आँखों में आंसू आ गए और वह नीचे उड़कर देखने गया, लेकिन रोटी गायब हो चुकी थी।
कबूतर ने यह सब देखा और कौआ के पास आकर कहा, "दोस्त, तुमने अपनी लालच के कारण अपना खाना खो दिया। अगर तुम इस रोटी को बांटते, तो तुम्हें भी खुशी मिलती और तुम्हारा खाना भी बचा रहता।"
कौआ को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने कबूतर से माफी मांगी। उसने वादा किया कि अब वह लालच नहीं करेगा और जरूरतमंदों की मदद करेगा। उस दिन से कौआ और कबूतर ने मिलकर सबकुछ बांटना शुरू कर दिया और उनकी दोस्ती और भी गहरी हो गई।
6. बबलू और उसकी किताबें
बबलू एक खुशमिजाज और नटखट लड़का था। उसे खेलना बहुत पसंद था, लेकिन पढ़ाई से वह हमेशा भागता था। उसकी किताबें बिस्तर के नीचे पड़ी रहतीं और वह दिनभर दोस्तों के साथ खेलने में मस्त रहता। उसकी माँ और टीचर ने कई बार उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन बबलू को पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
एक दिन, बबलू की परीक्षा का दिन आ गया। उसने बिना पढ़े ही परीक्षा देने का फैसला किया। जब वह परीक्षा कक्ष में बैठा, तो उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सवालों का जवाब कैसे देना है। वह पसीना-पसीना हो गया और उसकी आँखों में आंसू आ गए। उसने जल्दी से पेपर लिखने की कोशिश की, लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आया। वह बहुत उदास हो गया और मन ही मन सोचने लगा, "काश मैंने अपनी किताबों से पढ़ाई की होती।"
उस रात, बबलू ने सपना देखा। उसने देखा कि उसकी किताबें उससे नाराज़ होकर घर से चली गईं। बबलू ने उन्हें ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वे कहीं नहीं मिलीं। उसने अपनी किताबों को पुकारा और कहा, "मुझे माफ कर दो! मैं अब हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हारी मदद से पढ़ाई करूंगा।" तभी किताबें उसके सामने आ गईं और कहा, "अगर तुम सच में पढ़ाई करने का वादा करते हो, तो हम वापस आ जाएंगी।"
बबलू ने जागते ही ठान लिया कि अब वह अपनी किताबों की अनदेखी नहीं करेगा। उसने रोज़ समय पर पढ़ाई शुरू की और धीरे-धीरे उसे पढ़ाई में मज़ा आने लगा। वह नए-नए विषय सीखने लगा और उसे समझ में आया कि किताबें उसकी सबसे अच्छी दोस्त हैं, जो उसे ज्ञान और समझ देती हैं।
अगली परीक्षा में बबलू ने बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए और सबने उसकी तारीफ की। उसकी माँ और टीचर बहुत खुश हुए। बबलू ने सीखा कि खेलना जरूरी है, लेकिन पढ़ाई का महत्व भी समझना चाहिए। उसने अब हर दिन समय पर पढ़ाई और खेल दोनों को संतुलित करना सीख लिया।
7. फुर्तीली गिलहरी
गिलहरी का नाम था चंचल। वह अपने नाम के मुताबिक बहुत फुर्तीली थी। हर रोज़ वह मेहनत करके अपने लिए खाना इकट्ठा करती थी। चाहे कितनी भी धूप हो या बारिश, चंचल कभी काम से पीछे नहीं हटती थी। उसकी मेहनत को देखकर अन्य जानवर उसे चिढ़ाते थे और कहते थे, "तुम्हें आराम करना नहीं आता, हमेशा काम में लगी रहती हो।"
चंचल मुस्कुरा कर कहती, "मेहनत से ही तो मुझे सर्दी में आराम मिलेगा।" लेकिन बाकी जानवर उसकी बातों को अनसुना कर देते थे।
एक दिन सर्दी की ठंडी हवाएं चलने लगीं और बर्फ गिरने लगी। सारे जानवर परेशान हो गए क्योंकि उन्होंने सर्दी के लिए कोई खाना इकट्ठा नहीं किया था। उन्होंने इधर-उधर भागना शुरू कर दिया, लेकिन बर्फ के कारण उन्हें कुछ भी नहीं मिला। चंचल ने अपने घर में आराम से बैठकर अपनी मेहनत का फल खाना शुरू किया।
तभी कुछ जानवर उसकी मदद मांगने उसके घर आए। चंचल ने बिना किसी संकोच के अपना खाना उनके साथ बांटा और उन्हें सर्दी से बचाया। जानवरों ने चंचल से कहा, "हमने तुम्हें हमेशा चिढ़ाया, लेकिन आज तुम्हारी मेहनत ने हमें बचा लिया।"
चंचल ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। जब हम अपने भविष्य की सोचकर मेहनत करते हैं, तो मुश्किल वक्त में वह मेहनत ही हमारी सबसे बड़ी ताकत बनती है।"
उस दिन से सभी जानवरों ने यह सीख ली कि मेहनत और दूरदर्शिता के बिना जीवन में सफलता पाना मुश्किल है। अब सभी जानवर भी चंचल की तरह मेहनत करने लगे और अपने भविष्य के लिए तैयारी करने लगे।
8. भोलू और उसका पालतू
भोलू एक जिज्ञासु बच्चा था, जिसे जानवरों से बहुत लगाव था। एक दिन उसने अपने पिता से एक पालतू खरगोश लाने की जिद की। उसके पिता ने उसे समझाया कि पालतू जानवर की देखभाल करना आसान नहीं होता, लेकिन भोलू ने वादा किया कि वह उसका अच्छे से ख्याल रखेगा। भोलू के पिता ने उसे एक छोटा और प्यारा खरगोश ला दिया। भोलू बहुत खुश हुआ और उसने उसका नाम "फ्लफी" रखा।
शुरू-शुरू में भोलू फ्लफी की बहुत देखभाल करता। उसे समय पर खाना देता, उसके साथ खेलता और उसकी सफाई भी करता। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, भोलू का ध्यान फ्लफी से हटने लगा। वह अब ज्यादातर समय अपने दोस्तों के साथ खेलने में बिताता और फ्लफी को भूला देता। फ्लफी धीरे-धीरे कमजोर होने लगा और बीमार पड़ गया।
एक दिन भोलू ने देखा कि फ्लफी में पहले जैसी चपलता नहीं रही और वह उदास रहने लगा है। भोलू को एहसास हुआ कि वह फ्लफी की देखभाल में लापरवाही कर रहा है। उसे अपने पिता की बातें याद आईं और उसने फौरन फ्लफी को डॉक्टर के पास ले जाने का फैसला किया। डॉक्टर ने कहा कि अगर भोलू समय पर ध्यान नहीं देता, तो फ्लफी की तबियत और बिगड़ सकती थी।
भोलू ने फ्लफी की अच्छी देखभाल की और जल्द ही फ्लफी फिर से स्वस्थ हो गया। भोलू ने अपने पिता से माफी मांगी और कहा, "पिताजी, मैं अब समझ गया हूँ कि पालतू जानवरों की देखभाल करना कितना महत्वपूर्ण होता है। मैं अब कभी लापरवाही नहीं करूंगा।"
भोलू के पिता ने उसे गले लगाते हुए कहा, "बेटा, पालतू जानवर हमारे परिवार का हिस्सा होते हैं। उन्हें प्यार और देखभाल की जरूरत होती है। मुझे खुशी है कि तुमने अपनी गलती से सीखा।"
अब भोलू फ्लफी का अच्छे से ख्याल रखता और उसके साथ ढेर सारा समय बिताता। फ्लफी भी भोलू से बहुत प्यार करने लगा और दोनों के बीच एक गहरा संबंध बन गया।
9. रानी का झूठ
रानी नाम की एक शरारती लड़की थी, जिसे झूठ बोलने की आदत थी। वह हमेशा अपनी बातों को बढ़ा-चढ़ा कर बताती और लोगों को बेवकूफ बनाती। उसके माता-पिता ने उसे कई बार समझाया, लेकिन रानी ने कभी उनकी बात नहीं मानी।
एक दिन रानी ने सोचा कि क्यों न सबको एक बड़ा मजाक किया जाए। उसने गाँव के चौराहे पर खड़े होकर चिल्लाना शुरू कर दिया, "आग लग गई! आग लग गई! जल्दी मदद करो!" उसकी चीख सुनकर गाँव के लोग अपने काम छोड़कर भागते हुए वहां पहुंचे। लेकिन जब वे पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वहां कोई आग नहीं लगी है। रानी जोर-जोर से हँसने लगी और कहा, "मैंने तो मजाक किया था।"
गाँव के लोग बहुत नाराज हुए और रानी को डाँटने लगे। लेकिन रानी ने उनकी बातों को हल्के में लिया और घर चली गई। कुछ दिन बाद सच में गाँव में आग लग गई। रानी ने फिर से चिल्लाकर लोगों को बुलाने की कोशिश की, लेकिन इस बार कोई भी उसकी बात पर विश्वास नहीं कर रहा था। सबने सोचा कि वह फिर से मजाक कर रही है।
रानी बहुत घबरा गई और भागकर अपने माता-पिता के पास गई। उसने उन्हें सारी बात बताई। उसके माता-पिता तुरंत गाँव वालों के पास गए और उन्हें आग के बारे में बताया। जब गाँव के लोग पहुंचे, तब तक आग काफी फैल चुकी थी। बड़ी मुश्किल से आग पर काबू पाया जा सका।
रानी ने उस दिन सीखा कि झूठ बोलने से विश्वास खो जाता है और जब सच में जरूरत होती है, तो लोग हमारी बात पर यकीन नहीं करते। उसने अपने माता-पिता से माफी मांगी और वादा किया कि वह अब कभी झूठ नहीं बोलेगी। उसके माता-पिता ने कहा, "रानी, सच्चाई का रास्ता ही सबसे अच्छा होता है। अगर तुम हमेशा सच बोलोगी, तो लोग तुम पर भरोसा करेंगे।"
उस दिन के बाद से रानी ने झूठ बोलना छोड़ दिया और हमेशा सच बोलने की आदत डाल ली। गाँव के लोग भी अब उस पर भरोसा करने लगे और रानी ने सच्चाई का महत्व समझ लिया।
10. चिकी का साहस
चिकी एक छोटा और डरपोक बच्चा था। वह हमेशा छोटी-छोटी चीज़ों से डर जाता था और किसी भी चुनौती का सामना करने में हिचकिचाता था। उसके माता-पिता और दोस्तों ने उसे बार-बार हिम्मत दी कि डर को पार करने के लिए साहस की जरूरत होती है, लेकिन चिकी को हमेशा लगता था कि वह ऐसा नहीं कर सकता।
एक दिन गाँव में एक बड़ा त्यौहार मनाया जा रहा था। त्यौहार के दिन गाँव में खेल, गीत, और प्रतियोगिताएँ चल रही थीं। सभी लोग खुशी से झूम रहे थे और आपस में बधाई दे रहे थे। लेकिन इस बार, गाँव में अफवाह उड़ी कि त्यौहार के आयोजन स्थल पर एक भयानक शेर आ गया है। यह सुनकर गाँव के लोग डर के मारे त्यौहार में शामिल होने से हिचकिचाने लगे।
चिकी ने सुना कि शेर कितना खतरनाक हो सकता है, और उसकी यह बात सुनकर वह और भी ज्यादा डर गया। लेकिन उसकी माँ ने उसे समझाया, "चिकी, कभी-कभी डर का सामना करना भी ज़रूरी होता है। तुम्हें अपने डर को पार करना होगा।"
चिकी ने सोचा कि अगर सब लोग त्यौहार से दूर रहेंगे, तो वह अकेला ही रह जाएगा। उसने अपने डर को मात देने का फैसला किया और त्यौहार की ओर चल पड़ा। उसने अपने दिल में साहस भरते हुए सोचा, "मैं आज अपने डर का सामना करूंगा।"
जैसे ही चिकी त्यौहार के मैदान में पहुंचा, उसने देखा कि लोग एक तरफ इकट्ठा हो रहे थे और बहुत घबराए हुए थे। उसने ध्यान से देखा और पाया कि लोग डर की वजह से भाग रहे थे, लेकिन शेर कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। तभी चिकी ने सुना कि कुछ लोग कह रहे थे कि शेर दरअसल एक बड़ा कुत्ता है, जो गलती से शेर जैसा दिखाई दे रहा है।
चिकी ने तय किया कि उसे पता लगाना होगा कि सच में क्या हो रहा है। उसने धीरे-धीरे जाकर देखा कि एक बड़ा कुत्ता एक खंभे के पास बंधा था और लोग उसे देखकर डर रहे थे। चिकी ने कुत्ते से संपर्क किया और उसकी बात सुनी। कुत्ता, जो वास्तव में बहुत शांत और दोस्ताना था, ने बताया कि वह एक शो के लिए लाया गया था और उसका शेर जैसा रूप दिखाने का उद्देश्य केवल मनोरंजन था।
चिकी ने कुत्ते की बात सुनी और तुरंत ही सबको जाकर बताया कि शेर दरअसल कुत्ता है और वह बिल्कुल सुरक्षित है। लोग चिकी की बात पर विश्वास करने लगे और धीरे-धीरे मैदान में वापस आने लगे। त्यौहार का आनंद फिर से शुरू हो गया और लोग चिकी की बहादुरी की तारीफ करने लगे।
चिकी ने सीखा कि अपने डर का सामना करने से ही हम बड़ी चुनौतियों को पार कर सकते हैं। उसने अपने साहस और हिम्मत से सभी को दिखाया कि जब हम खुद पर विश्वास करते हैं, तो कोई भी डर हमें रोक नहीं सकता। गाँववालों ने चिकी की सराहना की और उसने खुद को और भी मजबूत महसूस किया।
इस अनुभव के बाद, चिकी ने डर को परास्त करना सीख लिया और अपने जीवन में हर चुनौती का सामना हिम्मत से करने का संकल्प लिया।