1. चालाक खरगोश और शेर
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक भयानक शेर रहता था। वह बहुत ही निर्दयी था और जंगल के सभी जानवरों को डराता था। हर दिन वह किसी न किसी जानवर का शिकार करता और उसे खा जाता। जंगल के सभी जानवर उसकी इस आदत से बहुत परेशान थे। वे सभी एकजुट होकर एक दिन शेर के पास गए और उससे विनती की कि वह हर दिन एक जानवर को खाने के बजाय, हर दिन केवल एक जानवर को अपने भोजन के लिए चुने। शेर ने उनकी बात मान ली और यह तय हुआ कि रोज एक जानवर स्वेच्छा से शेर के पास जाएगा।
कुछ दिन तक यह सिलसिला चलता रहा। एक दिन एक चालाक खरगोश की बारी आई। वह शेर के पास जाने से डर रहा था, लेकिन उसने एक योजना बनाई। वह जानबूझकर देर से शेर के पास पहुँचा। शेर उसकी प्रतीक्षा करते-करते क्रोधित हो गया था।
शेर ने गरजते हुए कहा, "तुम इतनी देर से क्यों आए हो? क्या तुम नहीं जानते कि मुझे भूख लगी है?"
खरगोश ने डरते हुए जवाब दिया, "महाराज, मैं समय पर ही आ रहा था, लेकिन रास्ते में मुझे एक और शेर मिला। उसने कहा कि वह इस जंगल का असली राजा है और उसने मुझे रोक लिया।"
शेर यह सुनकर बहुत क्रोधित हुआ और बोला, "कौन है वह दुस्साहसी शेर? मुझे दिखाओ, मैं उसे सबक सिखाऊंगा।"
चालाक खरगोश शेर को एक गहरे कुएं के पास ले गया और बोला, "महाराज, वह शेर इस कुएं में है।" शेर ने बिना सोचे-समझे कुएं में झांका और उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी। उसने सोचा कि यह वही दुस्साहसी शेर है और उसने जोर से दहाड़ मारी। कुएं में उसकी गूंज सुनाई दी, जिससे शेर को लगा कि दूसरा शेर भी उसे चुनौती दे रहा है।
क्रोध में आकर शेर ने कुएं में छलांग लगा दी और पानी में डूबकर मर गया। इस तरह चालाक खरगोश ने अपनी सूझबूझ से शेर से छुटकारा दिलाया और जंगल के सभी जानवरों को उसके आतंक से मुक्त किया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि संकट की घड़ी में भी धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेने पर हम किसी भी समस्या का हल ढूंढ सकते हैं।
2. कौआ और घड़ा
गर्मियों का मौसम था और एक दिन एक कौआ बहुत प्यासा था। वह इधर-उधर उड़ता रहा, लेकिन कहीं भी उसे पानी नहीं मिला। उसकी प्यास बढ़ती जा रही थी और वह बहुत थक गया था। तभी उसे एक घड़ा दिखा। वह तुरंत घड़े के पास गया और देखा कि घड़े के अंदर थोड़ा सा पानी है।
कौए ने अपनी चोंच घड़े में डालकर पानी पीने की कोशिश की, लेकिन पानी बहुत नीचे था और उसकी चोंच वहाँ तक नहीं पहुँच पा रही थी। कौआ बहुत निराश हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने सोचा और एक उपाय सूझा।
वह चारों ओर नजर दौड़ाने लगा और उसे बहुत सारे कंकड़ दिखाई दिए। कौए ने एक-एक करके कंकड़ उठाए और उन्हें घड़े में डालना शुरू कर दिया। हर कंकड़ डालने से पानी थोड़ा-थोड़ा ऊपर उठने लगा। कौए ने धैर्य नहीं खोया और कंकड़ डालता रहा। अंत में, पानी इतना ऊपर आ गया कि कौए की चोंच वहाँ तक पहुँच गई।
कौए ने जी भरकर पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई। वह बहुत खुश हुआ और उड़कर अपनी यात्रा पर आगे बढ़ गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कठिनाई के समय में धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए। समस्या का समाधान ढूँढ़ने के लिए हमें अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए।
3. मूर्ख बकरी
एक दिन एक बकरी ने देखा कि नदी के पार हरी-हरी घास उग रही है। वह उसे खाने के लिए बहुत उत्सुक हो गई। लेकिन नदी को पार करना कोई आसान काम नहीं था। वह बहुत सोच-विचार कर रही थी कि कैसे नदी पार करे।
अचानक उसने देखा कि नदी के किनारे एक लकड़ी का पुल था। बकरी ने सोचा कि पुल के रास्ते से नदी पार करना सबसे सुरक्षित और सरल तरीका होगा। लेकिन पुल बहुत पतला और कमजोर लग रहा था। फिर भी, बकरी ने हिम्मत जुटाई और धीरे-धीरे पुल पर चलने लगी।
जैसे ही बकरी पुल के बीच में पहुँची, पुल जोर-जोर से हिलने लगा। बकरी डर गई और अपनी समझ खो बैठी। उसने तेजी से भागने की कोशिश की, लेकिन पुल टूट गया और बकरी नदी में गिर गई। वह बहते हुए मुश्किल से किनारे पर पहुँची और खुद को सुरक्षित पाया।
बकरी ने अपनी मूर्खता पर पछताया और समझा कि जल्दबाजी में लिया गया निर्णय अक्सर खतरनाक होता है। उसे समझ आया कि कोई भी काम सोच-समझकर और सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी काम को करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करना चाहिए और जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।
4. लोमड़ी और अंगूर
एक दिन एक भूखी लोमड़ी जंगल में घूम रही थी। बहुत समय से उसने कुछ नहीं खाया था और वह बहुत कमजोर महसूस कर रही थी। तभी उसने एक पेड़ पर लटके हुए रसीले अंगूरों का गुच्छा देखा। लोमड़ी की भूख और भी बढ़ गई और उसने सोचा कि इन अंगूरों को खाने से उसकी भूख मिट जाएगी।
लोमड़ी ने अंगूरों तक पहुँचने की बहुत कोशिश की। उसने कूद-कूद कर अंगूरों तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन अंगूर बहुत ऊँचे थे और उसकी पहुँच से बाहर थे। उसने कई बार कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रही। अंत में थककर और निराश होकर वह पेड़ के नीचे बैठ गई।
कुछ देर बाद, उसने सोचा और खुद को सांत्वना देते हुए कहा, "ये अंगूर खट्टे होंगे, इन्हें खाने का कोई फायदा नहीं।" ऐसा कहकर लोमड़ी वहाँ से चल दी और दूसरी जगह भोजन की तलाश में निकल गई।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी-कभी हम अपनी असफलता को स्वीकार करने के बजाय बहाने बनाकर खुद को संतुष्ट कर लेते हैं। हमें मेहनत करनी चाहिए और कोशिश करते रहना चाहिए, बजाय इसके कि हम हार मान लें।
5. कछुआ और खरगोश
एक दिन जंगल में एक खरगोश और कछुए के बीच दौड़ की चुनौती सामने आई। खरगोश बहुत तेज दौड़ सकता था और उसने कछुए की धीमी गति का मजाक उड़ाते हुए उसे चुनौती दी। कछुआ, जो बहुत ही धैर्यवान और समझदार था, ने खरगोश की चुनौती को स्वीकार कर लिया।
दौड़ शुरू हुई और खरगोश तेजी से दौड़ते हुए काफी आगे निकल गया। उसने पीछे मुड़कर देखा और पाया कि कछुआ बहुत पीछे रह गया है। खरगोश ने सोचा कि कछुआ उसे कभी नहीं हरा पाएगा, इसलिए उसने रास्ते में आराम करने का फैसला किया और एक पेड़ के नीचे सो गया।
इस बीच, कछुआ बिना रुके धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ता रहा। वह थका नहीं और न ही रुका। उसने अपनी गति बनाए रखी और खरगोश को पार कर गया, जो गहरी नींद में सो रहा था।
जब खरगोश जागा, तो उसने देखा कि कछुआ फिनिश लाइन के बहुत करीब पहुँच चुका है। खरगोश ने दौड़ने की पूरी कोशिश की, लेकिन कछुआ पहले ही फिनिश लाइन पार कर चुका था और दौड़ जीत चुका था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धैर्य और निरंतर प्रयास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। घमंड और आत्मसंतुष्टि कभी-कभी हमें हार का सामना करवाते हैं।
6. गधा और शेर की खाल
एक दिन एक गधे को जंगल में शेर की खाल मिली। उसे एक शरारत सूझी और उसने शेर की खाल पहन ली। गधा अब शेर की तरह दिखने लगा और उसने सोचा कि अब वह जंगल के सभी जानवरों को डराकर मस्ती करेगा।
गधे ने शेर की खाल पहनकर जंगल में घूमना शुरू कर दिया। सभी जानवर उसे देखकर डर गए और भागने लगे। गधा बहुत खुश हुआ और सोचने लगा कि वह कितना ताकतवर हो गया है। अब उसे कोई भी जानवर नहीं सताएगा और वह आराम से अपनी जिंदगी जी सकेगा।
लेकिन गधा अपनी खुशी में इतना मग्न हो गया कि उसने जोर से रेंगना शुरू कर दिया। उसकी असली आवाज सुनकर सभी जानवर समझ गए कि यह असली शेर नहीं, बल्कि गधा है। वे सब वापस आए और गधे को उसके झूठ और शरारत के लिए सजा दी।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि झूठ और धोखे से कभी भी स्थायी सफलता नहीं मिलती। असली पहचान और सच्चाई ही सबसे महत्वपूर्ण होती है।
7. मोर और कौआ
एक दिन एक मोर अपने सुंदर पंखों पर गर्व कर रहा था। वह इधर-उधर घूमता और अपने पंखों को फैला कर दिखाता। सभी जानवर उसकी सुंदरता की तारीफ करते और मोर इससे बहुत खुश होता। लेकिन एक कौआ उसकी इस घमंड से परेशान था।
कौआ मोर से बोला, "तुम्हारी सुंदरता के बावजूद, क्या तुम उड़ सकते हो जैसे मैं उड़ता हूँ?" मोर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया, लेकिन उसने इसे नजरअंदाज किया और अपने पंखों पर ही ध्यान दिया।
कुछ दिनों बाद, जंगल में भारी बारिश हुई। मोर के पंख गीले हो गए और वह उड़ नहीं सका। वहीं, कौआ आसानी से उड़कर सुरक्षित स्थान पर चला गया। मोर को अपनी स्थिति पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और उसने समझा कि केवल बाहरी सुंदरता ही महत्वपूर्ण नहीं होती, बल्कि व्यवहार और उपयोगिता भी महत्वपूर्ण हैं।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बाहरी सुंदरता से ज्यादा महत्वपूर्ण हमारे गुण और व्यवहार होते हैं। हमें घमंड नहीं करना चाहिए और हर किसी की विशेषताओं का सम्मान करना चाहिए।
8. सिंह और चूहा
एक बार की बात है, एक सिंह जंगल में सो रहा था। अचानक, एक छोटा चूहा उसके ऊपर दौड़ने लगा और सिंह की नींद खुल गई। सिंह ने गुस्से में चूहे को पकड़ लिया और उसे मारने की धमकी दी। चूहा डर गया और सिंह से माफी माँगते हुए कहा, "कृपया मुझे छोड़ दीजिए। एक दिन मैं आपकी मदद जरूर करूँगा।"
सिंह को यह सुनकर हँसी आ गई और उसने सोचा कि एक छोटा चूहा उसकी कैसे मदद कर सकता है। फिर भी, उसने दया दिखाते हुए चूहे को छोड़ दिया।
कुछ दिनों बाद, सिंह जंगल में शिकार करते हुए एक शिकारी के जाल में फंस गया। वह बहुत जोर-जोर से गरजने लगा, लेकिन जाल से बाहर नहीं निकल पाया। तभी वहाँ से वह छोटा चूहा गुजरा। उसने सिंह को जाल में फंसा देखा और तुरंत मदद के लिए दौड़ा।
चूहे ने अपने नुकीले दांतों से जाल को काटना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में उसने जाल काट दिया और सिंह को आजाद कर दिया। सिंह ने चूहे का धन्यवाद किया और उसकी बुद्धिमानी और मदद के लिए उसकी तारीफ की।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी किसी को छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए। समय आने पर हर कोई मददगार साबित हो सकता है।
9. कौवा और पनीर
एक दिन एक भूखा कौवा भोजन की तलाश में उड़ रहा था। उसे एक घर की खिड़की पर पनीर का टुकड़ा दिखाई दिया। कौवे ने जल्दी से उस पनीर को चुरा लिया और उड़कर एक पेड़ की शाखा पर बैठ गया।
तभी एक चालाक लोमड़ी वहाँ से गुजरी। उसने कौवे को पनीर खाते देखा और उसके मुंह में पानी आ गया। लोमड़ी ने सोचा कि किस तरह से पनीर को हासिल किया जाए।
लोमड़ी ने कौवे की तरफ देखा और मीठी आवाज में कहा, "ओह, कौवे भाई! तुम्हारी आवाज कितनी मधुर है। क्या तुम मेरे लिए एक प्यारा सा गाना गा सकते हो?"
कौवा लोमड़ी की तारीफ सुनकर बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि उसकी आवाज सच में इतनी अच्छी है और उसने गाना गाने के लिए जैसे ही अपनी चोंच खोली, पनीर का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी ने तुरंत पनीर का टुकड़ा उठा लिया और खुशी-खुशी वहां से चली गई।
कौवा अपनी मूर्खता पर पछताता रह गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चापलूसी और मीठी बातों में आकर हमें अपनी समझदारी नहीं खोनी चाहिए। हमेशा सतर्क और समझदार रहना चाहिए।
10. चींटी और टिड्डा
गर्मियों के दिन थे और एक चींटी दिन-रात मेहनत कर अपने लिए खाना इकट्ठा कर रही थी। उसने सर्दियों के लिए भोजन का भंडार जमा करने की योजना बनाई थी। वहीं, एक टिड्डा था जो दिन भर मस्ती करता, गाना गाता और खेलता रहता।
टिड्डे ने चींटी को काम करते देखा और उससे पूछा, "तुम क्यों इतनी मेहनत कर रही हो? आओ, मेरे साथ मजे करो और गाना गाओ।"
चींटी ने जवाब दिया, "मैं सर्दियों के लिए भोजन जमा कर रही हूँ। जब ठंड आएगी और कहीं से भोजन नहीं मिलेगा, तब यह भंडार ही मेरे काम आएगा।"
टिड्डा चींटी की बातों को नजरअंदाज करता रहा और अपनी मस्ती में मस्त रहा। लेकिन कुछ समय बाद जब सर्दी आई, तो उसे भोजन की कमी का सामना करना पड़ा। चारों ओर बर्फ थी और उसे कहीं से भी खाना नहीं मिला।
टिड्डा भूखा और ठंड से कांपता हुआ चींटी के घर पहुँचा और उससे मदद मांगी। चींटी ने उसे अन्दर बुलाया और कहा, "अब समझ में आया कि मेहनत और तैयारी कितनी जरूरी होती है।" उसने टिड्डे को खाना दिया और उसकी मदद की।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समय पर मेहनत और तैयारी करना बहुत महत्वपूर्ण है। आलस्य और मस्ती के बजाय भविष्य की सोचकर काम करना चाहिए।
20 और मजेदार कहानियाँ
1. शेर और गधा
एक दिन, एक गधा जंगल में घूम रहा था। उसे रास्ते में एक शेर की खाल मिली। गधे ने सोचा कि अगर वह शेर की खाल पहन लेगा, तो वह जंगल के सभी जानवरों को डरा सकता है। गधा ने शेर की खाल पहन ली और जंगल में घूमने लगा। सभी जानवर उसे देखकर डर गए और भागने लगे। गधा बहुत खुश हुआ और सोचने लगा कि वह अब जंगल का राजा बन गया है।
लेकिन कुछ ही देर में, गधे ने जोर-जोर से रेंगना शुरू कर दिया। उसकी असली आवाज सुनकर सभी जानवर समझ गए कि यह असली शेर नहीं, बल्कि गधा है। जानवरों ने मिलकर गधे को उसकी मूर्खता का सबक सिखाया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बाहरी दिखावे से ज्यादा महत्वपूर्ण हमारी असली पहचान होती है।
2. दो मेंढक
एक बार की बात है, दो मेंढक जंगल में घूम रहे थे। घूमते-घूमते वे दोनों एक गहरे गड्ढे में गिर गए। गड्ढा बहुत गहरा था और बाहर निकलना बहुत मुश्किल था। दोनों मेंढक ने गड्ढे से बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन बार-बार असफल हो रहे थे।
गड्ढे के किनारे खड़े दूसरे मेंढक उन्हें देखकर कहने लगे, "तुम दोनों बाहर नहीं निकल पाओगे, यह असंभव है।" यह सुनकर एक मेंढक ने हार मान ली और गड्ढे में ही रह गया। लेकिन दूसरा मेंढक लगातार कोशिश करता रहा और अंत में बाहर निकल गया।
बाहर आकर मेंढक ने अपने दोस्तों से कहा, "मैं बहरा हूँ, मुझे लगा आप सभी मुझे प्रोत्साहित कर रहे हैं।"
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सकारात्मक सोच और धैर्य से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। दूसरों की नकारात्मकता से हमें प्रभावित नहीं होना चाहिए।
3. घमंडी हाथी और चतुर खरगोश
एक बार एक घमंडी हाथी जंगल में रहता था। वह अपनी ताकत पर बहुत घमंड करता था और सभी जानवरों को तंग करता था। एक दिन, उसने देखा कि सभी जानवर एक छोटे खरगोश से सलाह ले रहे थे। यह देखकर हाथी को गुस्सा आया और उसने खरगोश को चुनौती दी।
खरगोश ने कहा, "अगर तुम सच में इतने ताकतवर हो, तो तुम्हें एक बड़ी परीक्षा पास करनी होगी।" हाथी ने यह सुनकर चुनौती स्वीकार कर ली। खरगोश ने हाथी को एक बड़े पेड़ के पास ले जाकर कहा, "तुम्हें इस पेड़ को उखाड़ना होगा।"
हाथी ने पूरी ताकत लगाकर पेड़ को उखाड़ने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। इसके बाद खरगोश ने अपनी चतुराई का प्रयोग किया और पेड़ के पास से मिट्टी हटाकर उसकी जड़ें दिखाईं। फिर उसने कहा, "अब तुम पेड़ को आसानी से उखाड़ सकते हो।" हाथी ने ऐसा ही किया और पेड़ उखड़ गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ताकत से ज्यादा महत्वपूर्ण बुद्धिमानी होती है। चतुराई और समझदारी से हम बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाल सकते हैं।
4. बुरी आदत और कौआ
एक बार की बात है, एक कौआ बहुत आलसी था। वह हमेशा दूसरों के खाने पर निर्भर रहता और खुद मेहनत नहीं करता। एक दिन उसने देखा कि एक किसान अपने खेत में काम कर रहा है और उसने सोचा कि किसान के खेत से अनाज चुराना आसान होगा।
कौआ रोज खेत में जाकर अनाज चुराने लगा। किसान ने यह देखा और उसने एक जाल बिछाया। एक दिन, कौआ जाल में फंस गया और बहुत कोशिश करने के बावजूद बाहर नहीं निकल पाया। किसान ने कौआ को पकड़ा और उसे सबक सिखाया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुरी आदतें हमेशा नुकसान पहुँचाती हैं। हमें मेहनत और ईमानदारी से काम करना चाहिए और दूसरों के भरोसे नहीं रहना चाहिए।
5. मछली और बगुला
एक तालाब में बहुत सारी मछलियाँ रहती थीं। तालाब के पास एक बगुला रहता था जो मछलियों को पकड़कर खाता था। एक दिन, बगुला ने मछलियों से कहा, "यह तालाब सूखने वाला है। तुम्हें दूसरी जगह जाना होगा, मैं तुम्हें एक-एक करके दूसरी जगह ले जा सकता हूँ।"
मछलियाँ बगुले की बातों में आ गईं और उसने एक-एक करके उन्हें खाने के लिए उठा लिया। एक चालाक मछली ने यह सब देखा और बगुले की चालाकी को समझ लिया। उसने बगुले से कहा, "मुझे भी दूसरी जगह ले चलो।"
बगुला मछली को लेकर उड़ने लगा, लेकिन मछली ने बगुले की चोंच से कूदकर तालाब में वापस आ गई और सभी मछलियों को बगुले की चालाकी के बारे में बताया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी की बातों में आकर जल्दी विश्वास नहीं करना चाहिए। सतर्क और समझदार रहना बहुत जरूरी है।
6. चतुर बंदर और मगरमच्छ
एक बार एक नदी के किनारे एक चतुर बंदर रहता था। नदी में एक मगरमच्छ रहता था जो बंदर को खाना चाहता था। मगरमच्छ ने बंदर से दोस्ती की और एक दिन उसे अपने घर पर दावत के लिए बुलाया।
मगरमच्छ ने बंदर से कहा, "मेरा घर नदी के दूसरी तरफ है। तुम मेरी पीठ पर बैठकर चल सकते हो।" बंदर ने हामी भर दी और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। नदी के बीच में पहुँचकर मगरमच्छ ने कहा, "मैं तुम्हें खाने के लिए ले जा रहा हूँ।"
चतुर बंदर ने तुरंत समझदारी से काम लिया और कहा, "ओह, तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मेरा दिल तो पेड़ पर ही रह गया। मुझे पहले उसे लाने दो, फिर मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।" मगरमच्छ ने बंदर को वापस किनारे पर उतारा और बंदर तुरंत पेड़ पर चढ़ गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि संकट के समय में धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। अपनी सूझबूझ से हम किसी भी समस्या से निकल सकते हैं।
7. भूखा कुत्ता और उसकी परछाई
एक बार की बात है, एक भूखा कुत्ता एक मांस का टुकड़ा लेकर नदी के किनारे से गुजर रहा था। उसने नदी के पानी में अपनी परछाई देखी और उसे लगा कि कोई दूसरा कुत्ता भी मांस का टुकड़ा लेकर जा रहा है।
कुत्ते ने सोचा कि अगर वह दूसरे कुत्ते का टुकड़ा छीन लेगा, तो उसके पास ज्यादा मांस होगा। उसने अपने मांस का टुकड़ा छोड़ दिया और पानी में छलांग लगाई। लेकिन जैसे ही उसने छलांग लगाई, उसका मांस का टुकड़ा भी पानी में गिर गया और बह गया।
कुत्ता खाली हाथ रह गया और उसे अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच बुरी बला है। जो हमारे पास है, उसे हमें संतुष्टि के साथ स्वीकार करना चाहिए और अनावश्यक लालच से बचना चाहिए।
8. चतुर कौआ और लोमड़ी
एक बार की बात है, एक कौआ अपने लिए खाना ढूँढ़ रहा था। उसे एक टुकड़ा रोटी मिला और वह उसे लेकर एक पेड़ पर बैठ गया। तभी एक चालाक लोमड़ी वहाँ आई और कौए को देखकर मुँह में पानी भर आया।
लोमड़ी ने कौए से कहा, "कौए भाई, तुम कितने सुंदर हो! तुम्हारी आवाज भी बहुत मधुर है। क्या तुम मेरे लिए एक प्यारा सा गाना गाओगे?" कौए ने लोमड़ी की बातों में आकर अपनी चोंच खोली और गाना गाने लगा। तभी रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया और लोमड़ी ने उसे खा लिया।
कौए को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उसने सोचा कि कभी भी दूसरों की चापलूसी में नहीं आना चाहिए।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों की चापलूसी में आकर अपनी समझदारी नहीं खोनी चाहिए। सतर्क और समझदार रहना जरूरी है।
9. दो बिल्लियाँ और बंदर
एक बार की बात है, दो बिल्लियाँ एक रोटी को लेकर झगड़ रही थीं। दोनों बिल्लियों का कहना था कि रोटी उनकी है और कोई भी एक दूसरे को रोटी देने के लिए तैयार नहीं थी। तभी वहाँ एक चालाक बंदर आया और उसने बिल्लियों की मदद करने का प्रस्ताव दिया।
बंदर ने कहा, "तुम दोनों मुझे यह रोटी दो, मैं इसे बराबर-बराबर बाँट दूँगा।" बिल्लियाँ मान गईं और बंदर ने रोटी को दो हिस्सों में बाँट दिया। लेकिन एक हिस्सा बड़ा था और दूसरा छोटा। बंदर ने बड़े हिस्से से थोड़ा टुकड़ा खा लिया ताकि दोनों बराबर हो जाएँ।
अब छोटा हिस्सा बड़ा हो गया और बंदर ने फिर से बड़े हिस्से से थोड़ा टुकड़ा खा लिया। ऐसा करते-करते बंदर ने पूरी रोटी खा ली और बिल्लियाँ मूर्ख बनकर देखती रह गईं।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब हम आपस में झगड़ते हैं, तो तीसरा व्यक्ति फायदा उठा सकता है। हमें मिलजुलकर और समझदारी से अपने मुद्दों को सुलझाना चाहिए।
10. हाथी और चूहे
एक जंगल में हाथियों का एक झुंड रहता था। उनके पैरों के नीचे आकर छोटे जानवरों को बहुत परेशानी होती थी। एक दिन कुछ चूहों ने हाथियों से जाकर कहा, "कृपया हमारे बिलों के पास से मत गुजरो, हमारे परिवार नष्ट हो जाते हैं।"
हाथियों ने चूहों की बातों को नजरअंदाज किया और अपनी राह चलते रहे। कुछ दिन बाद, शिकारी हाथियों के झुंड को पकड़ने आए और उन्होंने जाल बिछाया। हाथी उन जालों में फंस गए और निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहे।
तभी, वे चूहे जिनकी हाथियों ने बात नहीं मानी थी, आए और अपने नुकीले दांतों से जाल को काटकर हाथियों को आजाद कर दिया। हाथियों ने चूहों का धन्यवाद किया और उनसे माफी माँगी।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी किसी को छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए। समय आने पर हर कोई मददगार साबित हो सकता है।
11. खरगोश और गाजर
एक दिन, एक भूखा खरगोश अपने लिए खाना ढूँढ़ रहा था। उसे एक खेत में बहुत सारी ताज़ी गाजरें मिलीं। खरगोश ने तुरंत गाजरें खोदना शुरू किया और एक-एक करके गाजरें निकालने लगा।
तभी एक किसान वहाँ आया और खरगोश को गाजरें चुराते देख लिया। किसान ने खरगोश को पकड़ा और कहा, "तुम्हें मेरी गाजरें चुराने की सजा मिलेगी।" लेकिन किसान ने देखा कि खरगोश बहुत भूखा और कमजोर था।
किसान का दिल पिघल गया और उसने खरगोश को सजा देने के बजाय गाजरें दीं और कहा, "भूख में कोई भी गलती कर सकता है, लेकिन अगली बार इजाजत लेकर खाना।" खरगोश ने किसान का धन्यवाद किया और वादा किया कि वह फिर कभी चोरी नहीं करेगा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दया और समझदारी से दूसरों की मदद करनी चाहिए। किसी की गलती को समझकर उसे सुधारने का मौका देना चाहिए।
12. कबूतर और चींटी
एक बार की बात है, एक चींटी नदी के किनारे पानी पीने गई। अचानक उसका पैर फिसला और वह नदी में गिर गई। चींटी डूबने लगी और बचने के लिए संघर्ष कर रही थी। तभी, एक पेड़ पर बैठे कबूतर ने यह देखा।
कबूतर ने तुरंत एक पत्ता तोड़ा और उसे नदी में फेंक दिया। चींटी ने उस पत्ते पर चढ़कर खुद को बचा लिया। चींटी ने कबूतर का धन्यवाद किया और वादा किया कि वह उसकी मदद का बदला जरूर चुकाएगी।
कुछ दिनों बाद, एक शिकारी कबूतर को पकड़ने के लिए आया। उसने जाल बिछाया और कबूतर को पकड़ने की कोशिश की। तभी चींटी ने शिकारी के पैर में काट लिया। शिकारी ने दर्द से कराहते हुए जाल छोड़ दिया और कबूतर उड़ गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एक छोटी सी मदद भी बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए और उनकी मदद का बदला चुकाने की कोशिश करनी चाहिए।
13. शेर और शेरनी
एक दिन, जंगल में एक शेर और शेरनी के बीच बहस हो रही थी। शेर का कहना था कि वह जंगल का राजा है और उसे सबसे ज्यादा शक्ति है। शेरनी का कहना था कि वह भी ताकतवर है और शेर के बराबर ही है।
शेर ने शेरनी को चुनौती दी कि वह अपनी ताकत साबित करे। दोनों ने एक बड़े पेड़ को गिराने का निर्णय लिया। शेर ने पूरी ताकत लगाकर पेड़ को गिराने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। फिर शेरनी ने अपनी पूरी ताकत लगाई और वह भी असफल रही।
अंत में, दोनों ने मिलकर पेड़ को गिराने की कोशिश की और सफल हो गए। शेर ने समझा कि मिलकर काम करने से ही बड़ी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में ही शक्ति होती है। मिलजुलकर काम करने से हम किसी भी समस्या का समाधान पा सकते हैं।
14. चतुर गधा और लोमड़ी
एक दिन, एक गधा और लोमड़ी जंगल में घूम रहे थे। लोमड़ी ने देखा कि एक खेत में बहुत सारी ताज़ी सब्जियाँ उगी हैं। उसने गधे से कहा, "आओ, हम दोनों मिलकर इस खेत में घुसते हैं और सब्जियाँ खाते हैं।" गधा मान गया और दोनों खेत में घुस गए।
खेत के मालिक ने उन्हें देख लिया और अपनी लाठी लेकर दौड़ा। लोमड़ी ने तुरंत भागकर अपनी जान बचा ली, लेकिन गधा पकड़ा गया। गधे ने सोचा और कहा, "मालिक, मुझे मत मारो। मैं तुम्हारे लिए काम कर सकता हूँ और खेत की रखवाली कर सकता हूँ।"
मालिक ने सोचा कि यह सही है और गधे को माफ कर दिया। गधा समझ गया कि संकट के समय में धैर्य और समझदारी से ही समाधान निकल सकता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मुसीबत के समय में हमें धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए और खुद को सुधारने का मौका देना चाहिए।
15. भेड़ और कुत्ता
एक दिन, एक भेड़ का बच्चा रास्ता भटक गया और जंगल में खो गया। वह बहुत डर गया और रोने लगा। तभी, एक शिकारी कुत्ता वहाँ से गुजरा और भेड़ के बच्चे को रोते हुए देखा।
कुत्ते ने भेड़ के बच्चे से पूछा, "तुम यहाँ कैसे आए?" भेड़ के बच्चे ने अपनी कहानी सुनाई और कहा, "मुझे मेरे घर पहुँचा दो।" कुत्ते ने भेड़ के बच्चे की मदद की और उसे सुरक्षित घर पहुँचा दिया।
भेड़ के माता-पिता ने कुत्ते का धन्यवाद किया और उसकी मदद के लिए उसकी तारीफ की। कुत्ते ने कहा, "मुझे खुशी है कि मैं किसी की मदद कर पाया।"
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मदद करना सबसे बड़ा गुण है। हमें हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
16. शेर और ऊंट
एक बार की बात है, एक शेर जंगल में घूम रहा था। उसे एक ऊंट मिला जो बहुत थका हुआ और भूखा था। शेर ने ऊंट से पूछा, "तुम्हें क्या हुआ? तुम इतने कमजोर क्यों हो?"
ऊंट ने जवाब दिया, "मैं अपने मालिक से बिछड़ गया हूँ और मुझे खाना नहीं मिला।" शेर ने ऊंट को दया दिखाते हुए अपने साथ रहने का प्रस्ताव दिया और उसे खाने के लिए घास दी।
ऊंट ने शेर का धन्यवाद किया और उसके साथ रहने लगा। शेर ने ऊंट को अपने परिवार का हिस्सा बना लिया और दोनों अच्छे दोस्त बन गए।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मदद करना और दया दिखाना सबसे बड़ा गुण है। हमें दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
17. पेड़ और बच्चे
एक गाँव में एक बड़ा और पुराना पेड़ था। बच्चे उस पेड़ के नीचे खेलते और उसकी छाया में आराम करते। पेड़ भी बच्चों को बहुत पसंद करता था और उन्हें अपनी छाया में खुश देखकर खुश होता था।
एक दिन, कुछ लोग आए और पेड़ को काटने की योजना बनाने लगे। बच्चों ने यह सुना और वे पेड़ के पास गए और उसे बचाने की गुहार लगाने लगे। बच्चों ने मिलकर गाँव वालों को समझाया कि पेड़ कितना महत्वपूर्ण है और उसने उनकी कितनी मदद की है।
गाँव वाले बच्चों की बातों से प्रभावित हुए और पेड़ को नहीं काटा। पेड़ बच्चों की समझदारी और एकता देखकर बहुत खुश हुआ।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए। हमें एकजुट होकर सही काम के लिए खड़ा होना चाहिए।
18. खरगोश और कबूतर
एक बार की बात है, एक खरगोश और कबूतर अच्छे दोस्त थे। वे दोनों साथ-साथ खेलते और खुश रहते थे। एक दिन, जंगल में आग लग गई और सभी जानवर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे।
कबूतर ने उड़कर अपनी जान बचा ली, लेकिन खरगोश आग में फंस गया। कबूतर ने यह देखा और तुरंत एक योजना बनाई। उसने उड़कर एक तालाब के पास जाकर अपनी चोंच में पानी भरा और आग पर डालने लगा।
धीरे-धीरे कबूतर ने आग बुझा दी और खरगोश को बचा लिया। खरगोश ने कबूतर का धन्यवाद किया और उसकी मदद के लिए उसकी तारीफ की।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती में एक-दूसरे की मदद करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमें हमेशा अपने दोस्तों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए।
19. आलसी गधा और मेहनती किसान
एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक आलसी गधा था जो हमेशा काम करने से कतराता था। किसान ने गधे को बहुत समझाया लेकिन वह नहीं सुधरा। एक दिन, किसान ने गधे को सिखाने का निर्णय लिया।
किसान ने गधे को एक भारी बोझ उठाने के लिए कहा और उसे दूर खेत तक ले जाने का आदेश दिया। गधे ने बहुत कोशिश की लेकिन वह बोझ नहीं उठा पाया।
किसान ने गधे से कहा, "अगर तुम मेहनत करोगे और अपनी ताकत का सही उपयोग करोगे, तो तुम यह बोझ आसानी से उठा सकते हो।" गधे ने किसान की बात समझी और मेहनत करने का निर्णय लिया।
कुछ दिनों बाद, गधा मेहनत करने लगा और अपनी ताकत का सही उपयोग करने लगा। अब वह किसी भी काम को आसानी से कर सकता था और किसान भी खुश था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत और सही दिशा में प्रयास करने से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।
20. चालाक चिड़िया और बिल्ली
एक दिन, एक चालाक चिड़िया एक पेड़ की शाखा पर बैठी थी। नीचे एक बिल्ली आई और चिड़िया को देखकर मुँह में पानी भर आया। बिल्ली ने चिड़िया से कहा, "चिड़िया बहन, नीचे आओ, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाऊँगी।"
चिड़िया ने बिल्ली की चालाकी को समझ लिया और कहा, "तुम्हारी कहानी बहुत अच्छी होगी, लेकिन मैं यहाँ से ही सुन सकती हूँ।" बिल्ली ने चिड़िया को नीचे लाने की कोशिश की, लेकिन चिड़िया ने हर बार बहाना बना दिया।
आखिर में, बिल्ली थक हारकर चली गई और चिड़िया ने अपनी समझदारी से अपनी जान बचा ली।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सतर्कता और समझदारी से हम किसी भी संकट से बच सकते हैं। हमें हमेशा सतर्क और समझदार रहना चाहिए।
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक भयानक शेर रहता था। वह बहुत ही निर्दयी था और जंगल के सभी जानवरों को डराता था। हर दिन वह किसी न किसी जानवर का शिकार करता और उसे खा जाता। जंगल के सभी जानवर उसकी इस आदत से बहुत परेशान थे। वे सभी एकजुट होकर एक दिन शेर के पास गए और उससे विनती की कि वह हर दिन एक जानवर को खाने के बजाय, हर दिन केवल एक जानवर को अपने भोजन के लिए चुने। शेर ने उनकी बात मान ली और यह तय हुआ कि रोज एक जानवर स्वेच्छा से शेर के पास जाएगा।
कुछ दिन तक यह सिलसिला चलता रहा। एक दिन एक चालाक खरगोश की बारी आई। वह शेर के पास जाने से डर रहा था, लेकिन उसने एक योजना बनाई। वह जानबूझकर देर से शेर के पास पहुँचा। शेर उसकी प्रतीक्षा करते-करते क्रोधित हो गया था।
शेर ने गरजते हुए कहा, "तुम इतनी देर से क्यों आए हो? क्या तुम नहीं जानते कि मुझे भूख लगी है?"
खरगोश ने डरते हुए जवाब दिया, "महाराज, मैं समय पर ही आ रहा था, लेकिन रास्ते में मुझे एक और शेर मिला। उसने कहा कि वह इस जंगल का असली राजा है और उसने मुझे रोक लिया।"
शेर यह सुनकर बहुत क्रोधित हुआ और बोला, "कौन है वह दुस्साहसी शेर? मुझे दिखाओ, मैं उसे सबक सिखाऊंगा।"
चालाक खरगोश शेर को एक गहरे कुएं के पास ले गया और बोला, "महाराज, वह शेर इस कुएं में है।" शेर ने बिना सोचे-समझे कुएं में झांका और उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी। उसने सोचा कि यह वही दुस्साहसी शेर है और उसने जोर से दहाड़ मारी। कुएं में उसकी गूंज सुनाई दी, जिससे शेर को लगा कि दूसरा शेर भी उसे चुनौती दे रहा है।
क्रोध में आकर शेर ने कुएं में छलांग लगा दी और पानी में डूबकर मर गया। इस तरह चालाक खरगोश ने अपनी सूझबूझ से शेर से छुटकारा दिलाया और जंगल के सभी जानवरों को उसके आतंक से मुक्त किया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि संकट की घड़ी में भी धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेने पर हम किसी भी समस्या का हल ढूंढ सकते हैं।
2. कौआ और घड़ा
गर्मियों का मौसम था और एक दिन एक कौआ बहुत प्यासा था। वह इधर-उधर उड़ता रहा, लेकिन कहीं भी उसे पानी नहीं मिला। उसकी प्यास बढ़ती जा रही थी और वह बहुत थक गया था। तभी उसे एक घड़ा दिखा। वह तुरंत घड़े के पास गया और देखा कि घड़े के अंदर थोड़ा सा पानी है।
कौए ने अपनी चोंच घड़े में डालकर पानी पीने की कोशिश की, लेकिन पानी बहुत नीचे था और उसकी चोंच वहाँ तक नहीं पहुँच पा रही थी। कौआ बहुत निराश हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने सोचा और एक उपाय सूझा।
वह चारों ओर नजर दौड़ाने लगा और उसे बहुत सारे कंकड़ दिखाई दिए। कौए ने एक-एक करके कंकड़ उठाए और उन्हें घड़े में डालना शुरू कर दिया। हर कंकड़ डालने से पानी थोड़ा-थोड़ा ऊपर उठने लगा। कौए ने धैर्य नहीं खोया और कंकड़ डालता रहा। अंत में, पानी इतना ऊपर आ गया कि कौए की चोंच वहाँ तक पहुँच गई।
कौए ने जी भरकर पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई। वह बहुत खुश हुआ और उड़कर अपनी यात्रा पर आगे बढ़ गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कठिनाई के समय में धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए। समस्या का समाधान ढूँढ़ने के लिए हमें अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए।
3. मूर्ख बकरी
एक दिन एक बकरी ने देखा कि नदी के पार हरी-हरी घास उग रही है। वह उसे खाने के लिए बहुत उत्सुक हो गई। लेकिन नदी को पार करना कोई आसान काम नहीं था। वह बहुत सोच-विचार कर रही थी कि कैसे नदी पार करे।
अचानक उसने देखा कि नदी के किनारे एक लकड़ी का पुल था। बकरी ने सोचा कि पुल के रास्ते से नदी पार करना सबसे सुरक्षित और सरल तरीका होगा। लेकिन पुल बहुत पतला और कमजोर लग रहा था। फिर भी, बकरी ने हिम्मत जुटाई और धीरे-धीरे पुल पर चलने लगी।
जैसे ही बकरी पुल के बीच में पहुँची, पुल जोर-जोर से हिलने लगा। बकरी डर गई और अपनी समझ खो बैठी। उसने तेजी से भागने की कोशिश की, लेकिन पुल टूट गया और बकरी नदी में गिर गई। वह बहते हुए मुश्किल से किनारे पर पहुँची और खुद को सुरक्षित पाया।
बकरी ने अपनी मूर्खता पर पछताया और समझा कि जल्दबाजी में लिया गया निर्णय अक्सर खतरनाक होता है। उसे समझ आया कि कोई भी काम सोच-समझकर और सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी काम को करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करना चाहिए और जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।
4. लोमड़ी और अंगूर
एक दिन एक भूखी लोमड़ी जंगल में घूम रही थी। बहुत समय से उसने कुछ नहीं खाया था और वह बहुत कमजोर महसूस कर रही थी। तभी उसने एक पेड़ पर लटके हुए रसीले अंगूरों का गुच्छा देखा। लोमड़ी की भूख और भी बढ़ गई और उसने सोचा कि इन अंगूरों को खाने से उसकी भूख मिट जाएगी।
लोमड़ी ने अंगूरों तक पहुँचने की बहुत कोशिश की। उसने कूद-कूद कर अंगूरों तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन अंगूर बहुत ऊँचे थे और उसकी पहुँच से बाहर थे। उसने कई बार कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रही। अंत में थककर और निराश होकर वह पेड़ के नीचे बैठ गई।
कुछ देर बाद, उसने सोचा और खुद को सांत्वना देते हुए कहा, "ये अंगूर खट्टे होंगे, इन्हें खाने का कोई फायदा नहीं।" ऐसा कहकर लोमड़ी वहाँ से चल दी और दूसरी जगह भोजन की तलाश में निकल गई।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी-कभी हम अपनी असफलता को स्वीकार करने के बजाय बहाने बनाकर खुद को संतुष्ट कर लेते हैं। हमें मेहनत करनी चाहिए और कोशिश करते रहना चाहिए, बजाय इसके कि हम हार मान लें।
5. कछुआ और खरगोश
एक दिन जंगल में एक खरगोश और कछुए के बीच दौड़ की चुनौती सामने आई। खरगोश बहुत तेज दौड़ सकता था और उसने कछुए की धीमी गति का मजाक उड़ाते हुए उसे चुनौती दी। कछुआ, जो बहुत ही धैर्यवान और समझदार था, ने खरगोश की चुनौती को स्वीकार कर लिया।
दौड़ शुरू हुई और खरगोश तेजी से दौड़ते हुए काफी आगे निकल गया। उसने पीछे मुड़कर देखा और पाया कि कछुआ बहुत पीछे रह गया है। खरगोश ने सोचा कि कछुआ उसे कभी नहीं हरा पाएगा, इसलिए उसने रास्ते में आराम करने का फैसला किया और एक पेड़ के नीचे सो गया।
इस बीच, कछुआ बिना रुके धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ता रहा। वह थका नहीं और न ही रुका। उसने अपनी गति बनाए रखी और खरगोश को पार कर गया, जो गहरी नींद में सो रहा था।
जब खरगोश जागा, तो उसने देखा कि कछुआ फिनिश लाइन के बहुत करीब पहुँच चुका है। खरगोश ने दौड़ने की पूरी कोशिश की, लेकिन कछुआ पहले ही फिनिश लाइन पार कर चुका था और दौड़ जीत चुका था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धैर्य और निरंतर प्रयास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। घमंड और आत्मसंतुष्टि कभी-कभी हमें हार का सामना करवाते हैं।
6. गधा और शेर की खाल
एक दिन एक गधे को जंगल में शेर की खाल मिली। उसे एक शरारत सूझी और उसने शेर की खाल पहन ली। गधा अब शेर की तरह दिखने लगा और उसने सोचा कि अब वह जंगल के सभी जानवरों को डराकर मस्ती करेगा।
गधे ने शेर की खाल पहनकर जंगल में घूमना शुरू कर दिया। सभी जानवर उसे देखकर डर गए और भागने लगे। गधा बहुत खुश हुआ और सोचने लगा कि वह कितना ताकतवर हो गया है। अब उसे कोई भी जानवर नहीं सताएगा और वह आराम से अपनी जिंदगी जी सकेगा।
लेकिन गधा अपनी खुशी में इतना मग्न हो गया कि उसने जोर से रेंगना शुरू कर दिया। उसकी असली आवाज सुनकर सभी जानवर समझ गए कि यह असली शेर नहीं, बल्कि गधा है। वे सब वापस आए और गधे को उसके झूठ और शरारत के लिए सजा दी।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि झूठ और धोखे से कभी भी स्थायी सफलता नहीं मिलती। असली पहचान और सच्चाई ही सबसे महत्वपूर्ण होती है।
7. मोर और कौआ
एक दिन एक मोर अपने सुंदर पंखों पर गर्व कर रहा था। वह इधर-उधर घूमता और अपने पंखों को फैला कर दिखाता। सभी जानवर उसकी सुंदरता की तारीफ करते और मोर इससे बहुत खुश होता। लेकिन एक कौआ उसकी इस घमंड से परेशान था।
कौआ मोर से बोला, "तुम्हारी सुंदरता के बावजूद, क्या तुम उड़ सकते हो जैसे मैं उड़ता हूँ?" मोर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया, लेकिन उसने इसे नजरअंदाज किया और अपने पंखों पर ही ध्यान दिया।
कुछ दिनों बाद, जंगल में भारी बारिश हुई। मोर के पंख गीले हो गए और वह उड़ नहीं सका। वहीं, कौआ आसानी से उड़कर सुरक्षित स्थान पर चला गया। मोर को अपनी स्थिति पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और उसने समझा कि केवल बाहरी सुंदरता ही महत्वपूर्ण नहीं होती, बल्कि व्यवहार और उपयोगिता भी महत्वपूर्ण हैं।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बाहरी सुंदरता से ज्यादा महत्वपूर्ण हमारे गुण और व्यवहार होते हैं। हमें घमंड नहीं करना चाहिए और हर किसी की विशेषताओं का सम्मान करना चाहिए।
8. सिंह और चूहा
एक बार की बात है, एक सिंह जंगल में सो रहा था। अचानक, एक छोटा चूहा उसके ऊपर दौड़ने लगा और सिंह की नींद खुल गई। सिंह ने गुस्से में चूहे को पकड़ लिया और उसे मारने की धमकी दी। चूहा डर गया और सिंह से माफी माँगते हुए कहा, "कृपया मुझे छोड़ दीजिए। एक दिन मैं आपकी मदद जरूर करूँगा।"
सिंह को यह सुनकर हँसी आ गई और उसने सोचा कि एक छोटा चूहा उसकी कैसे मदद कर सकता है। फिर भी, उसने दया दिखाते हुए चूहे को छोड़ दिया।
कुछ दिनों बाद, सिंह जंगल में शिकार करते हुए एक शिकारी के जाल में फंस गया। वह बहुत जोर-जोर से गरजने लगा, लेकिन जाल से बाहर नहीं निकल पाया। तभी वहाँ से वह छोटा चूहा गुजरा। उसने सिंह को जाल में फंसा देखा और तुरंत मदद के लिए दौड़ा।
चूहे ने अपने नुकीले दांतों से जाल को काटना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में उसने जाल काट दिया और सिंह को आजाद कर दिया। सिंह ने चूहे का धन्यवाद किया और उसकी बुद्धिमानी और मदद के लिए उसकी तारीफ की।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी किसी को छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए। समय आने पर हर कोई मददगार साबित हो सकता है।
9. कौवा और पनीर
एक दिन एक भूखा कौवा भोजन की तलाश में उड़ रहा था। उसे एक घर की खिड़की पर पनीर का टुकड़ा दिखाई दिया। कौवे ने जल्दी से उस पनीर को चुरा लिया और उड़कर एक पेड़ की शाखा पर बैठ गया।
तभी एक चालाक लोमड़ी वहाँ से गुजरी। उसने कौवे को पनीर खाते देखा और उसके मुंह में पानी आ गया। लोमड़ी ने सोचा कि किस तरह से पनीर को हासिल किया जाए।
लोमड़ी ने कौवे की तरफ देखा और मीठी आवाज में कहा, "ओह, कौवे भाई! तुम्हारी आवाज कितनी मधुर है। क्या तुम मेरे लिए एक प्यारा सा गाना गा सकते हो?"
कौवा लोमड़ी की तारीफ सुनकर बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि उसकी आवाज सच में इतनी अच्छी है और उसने गाना गाने के लिए जैसे ही अपनी चोंच खोली, पनीर का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी ने तुरंत पनीर का टुकड़ा उठा लिया और खुशी-खुशी वहां से चली गई।
कौवा अपनी मूर्खता पर पछताता रह गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चापलूसी और मीठी बातों में आकर हमें अपनी समझदारी नहीं खोनी चाहिए। हमेशा सतर्क और समझदार रहना चाहिए।
10. चींटी और टिड्डा
गर्मियों के दिन थे और एक चींटी दिन-रात मेहनत कर अपने लिए खाना इकट्ठा कर रही थी। उसने सर्दियों के लिए भोजन का भंडार जमा करने की योजना बनाई थी। वहीं, एक टिड्डा था जो दिन भर मस्ती करता, गाना गाता और खेलता रहता।
टिड्डे ने चींटी को काम करते देखा और उससे पूछा, "तुम क्यों इतनी मेहनत कर रही हो? आओ, मेरे साथ मजे करो और गाना गाओ।"
चींटी ने जवाब दिया, "मैं सर्दियों के लिए भोजन जमा कर रही हूँ। जब ठंड आएगी और कहीं से भोजन नहीं मिलेगा, तब यह भंडार ही मेरे काम आएगा।"
टिड्डा चींटी की बातों को नजरअंदाज करता रहा और अपनी मस्ती में मस्त रहा। लेकिन कुछ समय बाद जब सर्दी आई, तो उसे भोजन की कमी का सामना करना पड़ा। चारों ओर बर्फ थी और उसे कहीं से भी खाना नहीं मिला।
टिड्डा भूखा और ठंड से कांपता हुआ चींटी के घर पहुँचा और उससे मदद मांगी। चींटी ने उसे अन्दर बुलाया और कहा, "अब समझ में आया कि मेहनत और तैयारी कितनी जरूरी होती है।" उसने टिड्डे को खाना दिया और उसकी मदद की।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समय पर मेहनत और तैयारी करना बहुत महत्वपूर्ण है। आलस्य और मस्ती के बजाय भविष्य की सोचकर काम करना चाहिए।
एक दिन, एक गधा जंगल में घूम रहा था। उसे रास्ते में एक शेर की खाल मिली। गधे ने सोचा कि अगर वह शेर की खाल पहन लेगा, तो वह जंगल के सभी जानवरों को डरा सकता है। गधा ने शेर की खाल पहन ली और जंगल में घूमने लगा। सभी जानवर उसे देखकर डर गए और भागने लगे। गधा बहुत खुश हुआ और सोचने लगा कि वह अब जंगल का राजा बन गया है।
लेकिन कुछ ही देर में, गधे ने जोर-जोर से रेंगना शुरू कर दिया। उसकी असली आवाज सुनकर सभी जानवर समझ गए कि यह असली शेर नहीं, बल्कि गधा है। जानवरों ने मिलकर गधे को उसकी मूर्खता का सबक सिखाया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बाहरी दिखावे से ज्यादा महत्वपूर्ण हमारी असली पहचान होती है।
2. दो मेंढक
एक बार की बात है, दो मेंढक जंगल में घूम रहे थे। घूमते-घूमते वे दोनों एक गहरे गड्ढे में गिर गए। गड्ढा बहुत गहरा था और बाहर निकलना बहुत मुश्किल था। दोनों मेंढक ने गड्ढे से बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन बार-बार असफल हो रहे थे।
गड्ढे के किनारे खड़े दूसरे मेंढक उन्हें देखकर कहने लगे, "तुम दोनों बाहर नहीं निकल पाओगे, यह असंभव है।" यह सुनकर एक मेंढक ने हार मान ली और गड्ढे में ही रह गया। लेकिन दूसरा मेंढक लगातार कोशिश करता रहा और अंत में बाहर निकल गया।
बाहर आकर मेंढक ने अपने दोस्तों से कहा, "मैं बहरा हूँ, मुझे लगा आप सभी मुझे प्रोत्साहित कर रहे हैं।"
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सकारात्मक सोच और धैर्य से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। दूसरों की नकारात्मकता से हमें प्रभावित नहीं होना चाहिए।
3. घमंडी हाथी और चतुर खरगोश
एक बार एक घमंडी हाथी जंगल में रहता था। वह अपनी ताकत पर बहुत घमंड करता था और सभी जानवरों को तंग करता था। एक दिन, उसने देखा कि सभी जानवर एक छोटे खरगोश से सलाह ले रहे थे। यह देखकर हाथी को गुस्सा आया और उसने खरगोश को चुनौती दी।
खरगोश ने कहा, "अगर तुम सच में इतने ताकतवर हो, तो तुम्हें एक बड़ी परीक्षा पास करनी होगी।" हाथी ने यह सुनकर चुनौती स्वीकार कर ली। खरगोश ने हाथी को एक बड़े पेड़ के पास ले जाकर कहा, "तुम्हें इस पेड़ को उखाड़ना होगा।"
हाथी ने पूरी ताकत लगाकर पेड़ को उखाड़ने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। इसके बाद खरगोश ने अपनी चतुराई का प्रयोग किया और पेड़ के पास से मिट्टी हटाकर उसकी जड़ें दिखाईं। फिर उसने कहा, "अब तुम पेड़ को आसानी से उखाड़ सकते हो।" हाथी ने ऐसा ही किया और पेड़ उखड़ गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ताकत से ज्यादा महत्वपूर्ण बुद्धिमानी होती है। चतुराई और समझदारी से हम बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाल सकते हैं।
4. बुरी आदत और कौआ
एक बार की बात है, एक कौआ बहुत आलसी था। वह हमेशा दूसरों के खाने पर निर्भर रहता और खुद मेहनत नहीं करता। एक दिन उसने देखा कि एक किसान अपने खेत में काम कर रहा है और उसने सोचा कि किसान के खेत से अनाज चुराना आसान होगा।
कौआ रोज खेत में जाकर अनाज चुराने लगा। किसान ने यह देखा और उसने एक जाल बिछाया। एक दिन, कौआ जाल में फंस गया और बहुत कोशिश करने के बावजूद बाहर नहीं निकल पाया। किसान ने कौआ को पकड़ा और उसे सबक सिखाया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुरी आदतें हमेशा नुकसान पहुँचाती हैं। हमें मेहनत और ईमानदारी से काम करना चाहिए और दूसरों के भरोसे नहीं रहना चाहिए।
5. मछली और बगुला
एक तालाब में बहुत सारी मछलियाँ रहती थीं। तालाब के पास एक बगुला रहता था जो मछलियों को पकड़कर खाता था। एक दिन, बगुला ने मछलियों से कहा, "यह तालाब सूखने वाला है। तुम्हें दूसरी जगह जाना होगा, मैं तुम्हें एक-एक करके दूसरी जगह ले जा सकता हूँ।"
मछलियाँ बगुले की बातों में आ गईं और उसने एक-एक करके उन्हें खाने के लिए उठा लिया। एक चालाक मछली ने यह सब देखा और बगुले की चालाकी को समझ लिया। उसने बगुले से कहा, "मुझे भी दूसरी जगह ले चलो।"
बगुला मछली को लेकर उड़ने लगा, लेकिन मछली ने बगुले की चोंच से कूदकर तालाब में वापस आ गई और सभी मछलियों को बगुले की चालाकी के बारे में बताया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी की बातों में आकर जल्दी विश्वास नहीं करना चाहिए। सतर्क और समझदार रहना बहुत जरूरी है।
6. चतुर बंदर और मगरमच्छ
एक बार एक नदी के किनारे एक चतुर बंदर रहता था। नदी में एक मगरमच्छ रहता था जो बंदर को खाना चाहता था। मगरमच्छ ने बंदर से दोस्ती की और एक दिन उसे अपने घर पर दावत के लिए बुलाया।
मगरमच्छ ने बंदर से कहा, "मेरा घर नदी के दूसरी तरफ है। तुम मेरी पीठ पर बैठकर चल सकते हो।" बंदर ने हामी भर दी और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। नदी के बीच में पहुँचकर मगरमच्छ ने कहा, "मैं तुम्हें खाने के लिए ले जा रहा हूँ।"
चतुर बंदर ने तुरंत समझदारी से काम लिया और कहा, "ओह, तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मेरा दिल तो पेड़ पर ही रह गया। मुझे पहले उसे लाने दो, फिर मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।" मगरमच्छ ने बंदर को वापस किनारे पर उतारा और बंदर तुरंत पेड़ पर चढ़ गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि संकट के समय में धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। अपनी सूझबूझ से हम किसी भी समस्या से निकल सकते हैं।
7. भूखा कुत्ता और उसकी परछाई
एक बार की बात है, एक भूखा कुत्ता एक मांस का टुकड़ा लेकर नदी के किनारे से गुजर रहा था। उसने नदी के पानी में अपनी परछाई देखी और उसे लगा कि कोई दूसरा कुत्ता भी मांस का टुकड़ा लेकर जा रहा है।
कुत्ते ने सोचा कि अगर वह दूसरे कुत्ते का टुकड़ा छीन लेगा, तो उसके पास ज्यादा मांस होगा। उसने अपने मांस का टुकड़ा छोड़ दिया और पानी में छलांग लगाई। लेकिन जैसे ही उसने छलांग लगाई, उसका मांस का टुकड़ा भी पानी में गिर गया और बह गया।
कुत्ता खाली हाथ रह गया और उसे अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच बुरी बला है। जो हमारे पास है, उसे हमें संतुष्टि के साथ स्वीकार करना चाहिए और अनावश्यक लालच से बचना चाहिए।
8. चतुर कौआ और लोमड़ी
एक बार की बात है, एक कौआ अपने लिए खाना ढूँढ़ रहा था। उसे एक टुकड़ा रोटी मिला और वह उसे लेकर एक पेड़ पर बैठ गया। तभी एक चालाक लोमड़ी वहाँ आई और कौए को देखकर मुँह में पानी भर आया।
लोमड़ी ने कौए से कहा, "कौए भाई, तुम कितने सुंदर हो! तुम्हारी आवाज भी बहुत मधुर है। क्या तुम मेरे लिए एक प्यारा सा गाना गाओगे?" कौए ने लोमड़ी की बातों में आकर अपनी चोंच खोली और गाना गाने लगा। तभी रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया और लोमड़ी ने उसे खा लिया।
कौए को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उसने सोचा कि कभी भी दूसरों की चापलूसी में नहीं आना चाहिए।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों की चापलूसी में आकर अपनी समझदारी नहीं खोनी चाहिए। सतर्क और समझदार रहना जरूरी है।
9. दो बिल्लियाँ और बंदर
एक बार की बात है, दो बिल्लियाँ एक रोटी को लेकर झगड़ रही थीं। दोनों बिल्लियों का कहना था कि रोटी उनकी है और कोई भी एक दूसरे को रोटी देने के लिए तैयार नहीं थी। तभी वहाँ एक चालाक बंदर आया और उसने बिल्लियों की मदद करने का प्रस्ताव दिया।
बंदर ने कहा, "तुम दोनों मुझे यह रोटी दो, मैं इसे बराबर-बराबर बाँट दूँगा।" बिल्लियाँ मान गईं और बंदर ने रोटी को दो हिस्सों में बाँट दिया। लेकिन एक हिस्सा बड़ा था और दूसरा छोटा। बंदर ने बड़े हिस्से से थोड़ा टुकड़ा खा लिया ताकि दोनों बराबर हो जाएँ।
अब छोटा हिस्सा बड़ा हो गया और बंदर ने फिर से बड़े हिस्से से थोड़ा टुकड़ा खा लिया। ऐसा करते-करते बंदर ने पूरी रोटी खा ली और बिल्लियाँ मूर्ख बनकर देखती रह गईं।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब हम आपस में झगड़ते हैं, तो तीसरा व्यक्ति फायदा उठा सकता है। हमें मिलजुलकर और समझदारी से अपने मुद्दों को सुलझाना चाहिए।
10. हाथी और चूहे
एक जंगल में हाथियों का एक झुंड रहता था। उनके पैरों के नीचे आकर छोटे जानवरों को बहुत परेशानी होती थी। एक दिन कुछ चूहों ने हाथियों से जाकर कहा, "कृपया हमारे बिलों के पास से मत गुजरो, हमारे परिवार नष्ट हो जाते हैं।"
हाथियों ने चूहों की बातों को नजरअंदाज किया और अपनी राह चलते रहे। कुछ दिन बाद, शिकारी हाथियों के झुंड को पकड़ने आए और उन्होंने जाल बिछाया। हाथी उन जालों में फंस गए और निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहे।
तभी, वे चूहे जिनकी हाथियों ने बात नहीं मानी थी, आए और अपने नुकीले दांतों से जाल को काटकर हाथियों को आजाद कर दिया। हाथियों ने चूहों का धन्यवाद किया और उनसे माफी माँगी।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी किसी को छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए। समय आने पर हर कोई मददगार साबित हो सकता है।
11. खरगोश और गाजर
एक दिन, एक भूखा खरगोश अपने लिए खाना ढूँढ़ रहा था। उसे एक खेत में बहुत सारी ताज़ी गाजरें मिलीं। खरगोश ने तुरंत गाजरें खोदना शुरू किया और एक-एक करके गाजरें निकालने लगा।
तभी एक किसान वहाँ आया और खरगोश को गाजरें चुराते देख लिया। किसान ने खरगोश को पकड़ा और कहा, "तुम्हें मेरी गाजरें चुराने की सजा मिलेगी।" लेकिन किसान ने देखा कि खरगोश बहुत भूखा और कमजोर था।
किसान का दिल पिघल गया और उसने खरगोश को सजा देने के बजाय गाजरें दीं और कहा, "भूख में कोई भी गलती कर सकता है, लेकिन अगली बार इजाजत लेकर खाना।" खरगोश ने किसान का धन्यवाद किया और वादा किया कि वह फिर कभी चोरी नहीं करेगा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दया और समझदारी से दूसरों की मदद करनी चाहिए। किसी की गलती को समझकर उसे सुधारने का मौका देना चाहिए।
12. कबूतर और चींटी
एक बार की बात है, एक चींटी नदी के किनारे पानी पीने गई। अचानक उसका पैर फिसला और वह नदी में गिर गई। चींटी डूबने लगी और बचने के लिए संघर्ष कर रही थी। तभी, एक पेड़ पर बैठे कबूतर ने यह देखा।
कबूतर ने तुरंत एक पत्ता तोड़ा और उसे नदी में फेंक दिया। चींटी ने उस पत्ते पर चढ़कर खुद को बचा लिया। चींटी ने कबूतर का धन्यवाद किया और वादा किया कि वह उसकी मदद का बदला जरूर चुकाएगी।
कुछ दिनों बाद, एक शिकारी कबूतर को पकड़ने के लिए आया। उसने जाल बिछाया और कबूतर को पकड़ने की कोशिश की। तभी चींटी ने शिकारी के पैर में काट लिया। शिकारी ने दर्द से कराहते हुए जाल छोड़ दिया और कबूतर उड़ गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एक छोटी सी मदद भी बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए और उनकी मदद का बदला चुकाने की कोशिश करनी चाहिए।
13. शेर और शेरनी
एक दिन, जंगल में एक शेर और शेरनी के बीच बहस हो रही थी। शेर का कहना था कि वह जंगल का राजा है और उसे सबसे ज्यादा शक्ति है। शेरनी का कहना था कि वह भी ताकतवर है और शेर के बराबर ही है।
शेर ने शेरनी को चुनौती दी कि वह अपनी ताकत साबित करे। दोनों ने एक बड़े पेड़ को गिराने का निर्णय लिया। शेर ने पूरी ताकत लगाकर पेड़ को गिराने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। फिर शेरनी ने अपनी पूरी ताकत लगाई और वह भी असफल रही।
अंत में, दोनों ने मिलकर पेड़ को गिराने की कोशिश की और सफल हो गए। शेर ने समझा कि मिलकर काम करने से ही बड़ी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में ही शक्ति होती है। मिलजुलकर काम करने से हम किसी भी समस्या का समाधान पा सकते हैं।
14. चतुर गधा और लोमड़ी
एक दिन, एक गधा और लोमड़ी जंगल में घूम रहे थे। लोमड़ी ने देखा कि एक खेत में बहुत सारी ताज़ी सब्जियाँ उगी हैं। उसने गधे से कहा, "आओ, हम दोनों मिलकर इस खेत में घुसते हैं और सब्जियाँ खाते हैं।" गधा मान गया और दोनों खेत में घुस गए।
खेत के मालिक ने उन्हें देख लिया और अपनी लाठी लेकर दौड़ा। लोमड़ी ने तुरंत भागकर अपनी जान बचा ली, लेकिन गधा पकड़ा गया। गधे ने सोचा और कहा, "मालिक, मुझे मत मारो। मैं तुम्हारे लिए काम कर सकता हूँ और खेत की रखवाली कर सकता हूँ।"
मालिक ने सोचा कि यह सही है और गधे को माफ कर दिया। गधा समझ गया कि संकट के समय में धैर्य और समझदारी से ही समाधान निकल सकता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मुसीबत के समय में हमें धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए और खुद को सुधारने का मौका देना चाहिए।
15. भेड़ और कुत्ता
एक दिन, एक भेड़ का बच्चा रास्ता भटक गया और जंगल में खो गया। वह बहुत डर गया और रोने लगा। तभी, एक शिकारी कुत्ता वहाँ से गुजरा और भेड़ के बच्चे को रोते हुए देखा।
कुत्ते ने भेड़ के बच्चे से पूछा, "तुम यहाँ कैसे आए?" भेड़ के बच्चे ने अपनी कहानी सुनाई और कहा, "मुझे मेरे घर पहुँचा दो।" कुत्ते ने भेड़ के बच्चे की मदद की और उसे सुरक्षित घर पहुँचा दिया।
भेड़ के माता-पिता ने कुत्ते का धन्यवाद किया और उसकी मदद के लिए उसकी तारीफ की। कुत्ते ने कहा, "मुझे खुशी है कि मैं किसी की मदद कर पाया।"
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मदद करना सबसे बड़ा गुण है। हमें हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
16. शेर और ऊंट
एक बार की बात है, एक शेर जंगल में घूम रहा था। उसे एक ऊंट मिला जो बहुत थका हुआ और भूखा था। शेर ने ऊंट से पूछा, "तुम्हें क्या हुआ? तुम इतने कमजोर क्यों हो?"
ऊंट ने जवाब दिया, "मैं अपने मालिक से बिछड़ गया हूँ और मुझे खाना नहीं मिला।" शेर ने ऊंट को दया दिखाते हुए अपने साथ रहने का प्रस्ताव दिया और उसे खाने के लिए घास दी।
ऊंट ने शेर का धन्यवाद किया और उसके साथ रहने लगा। शेर ने ऊंट को अपने परिवार का हिस्सा बना लिया और दोनों अच्छे दोस्त बन गए।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मदद करना और दया दिखाना सबसे बड़ा गुण है। हमें दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
17. पेड़ और बच्चे
एक गाँव में एक बड़ा और पुराना पेड़ था। बच्चे उस पेड़ के नीचे खेलते और उसकी छाया में आराम करते। पेड़ भी बच्चों को बहुत पसंद करता था और उन्हें अपनी छाया में खुश देखकर खुश होता था।
एक दिन, कुछ लोग आए और पेड़ को काटने की योजना बनाने लगे। बच्चों ने यह सुना और वे पेड़ के पास गए और उसे बचाने की गुहार लगाने लगे। बच्चों ने मिलकर गाँव वालों को समझाया कि पेड़ कितना महत्वपूर्ण है और उसने उनकी कितनी मदद की है।
गाँव वाले बच्चों की बातों से प्रभावित हुए और पेड़ को नहीं काटा। पेड़ बच्चों की समझदारी और एकता देखकर बहुत खुश हुआ।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए। हमें एकजुट होकर सही काम के लिए खड़ा होना चाहिए।
18. खरगोश और कबूतर
एक बार की बात है, एक खरगोश और कबूतर अच्छे दोस्त थे। वे दोनों साथ-साथ खेलते और खुश रहते थे। एक दिन, जंगल में आग लग गई और सभी जानवर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे।
कबूतर ने उड़कर अपनी जान बचा ली, लेकिन खरगोश आग में फंस गया। कबूतर ने यह देखा और तुरंत एक योजना बनाई। उसने उड़कर एक तालाब के पास जाकर अपनी चोंच में पानी भरा और आग पर डालने लगा।
धीरे-धीरे कबूतर ने आग बुझा दी और खरगोश को बचा लिया। खरगोश ने कबूतर का धन्यवाद किया और उसकी मदद के लिए उसकी तारीफ की।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती में एक-दूसरे की मदद करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमें हमेशा अपने दोस्तों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए।
19. आलसी गधा और मेहनती किसान
एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक आलसी गधा था जो हमेशा काम करने से कतराता था। किसान ने गधे को बहुत समझाया लेकिन वह नहीं सुधरा। एक दिन, किसान ने गधे को सिखाने का निर्णय लिया।
किसान ने गधे को एक भारी बोझ उठाने के लिए कहा और उसे दूर खेत तक ले जाने का आदेश दिया। गधे ने बहुत कोशिश की लेकिन वह बोझ नहीं उठा पाया।
किसान ने गधे से कहा, "अगर तुम मेहनत करोगे और अपनी ताकत का सही उपयोग करोगे, तो तुम यह बोझ आसानी से उठा सकते हो।" गधे ने किसान की बात समझी और मेहनत करने का निर्णय लिया।
कुछ दिनों बाद, गधा मेहनत करने लगा और अपनी ताकत का सही उपयोग करने लगा। अब वह किसी भी काम को आसानी से कर सकता था और किसान भी खुश था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत और सही दिशा में प्रयास करने से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।
20. चालाक चिड़िया और बिल्ली
एक दिन, एक चालाक चिड़िया एक पेड़ की शाखा पर बैठी थी। नीचे एक बिल्ली आई और चिड़िया को देखकर मुँह में पानी भर आया। बिल्ली ने चिड़िया से कहा, "चिड़िया बहन, नीचे आओ, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाऊँगी।"
चिड़िया ने बिल्ली की चालाकी को समझ लिया और कहा, "तुम्हारी कहानी बहुत अच्छी होगी, लेकिन मैं यहाँ से ही सुन सकती हूँ।" बिल्ली ने चिड़िया को नीचे लाने की कोशिश की, लेकिन चिड़िया ने हर बार बहाना बना दिया।
आखिर में, बिल्ली थक हारकर चली गई और चिड़िया ने अपनी समझदारी से अपनी जान बचा ली।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सतर्कता और समझदारी से हम किसी भी संकट से बच सकते हैं। हमें हमेशा सतर्क और समझदार रहना चाहिए।